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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए शनिवार को पार्टी नेताओं से कहा कि इसके संदेश को जमीनी स्तर तक लेकर जाएं और जनता को कानूनी अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिहाज से तैयार करें.
राहुल गांधी ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस प्रमुखों और कांग्रेस विधायक दल के नेताओं की बैठक को संबोधित किया. उनके साथ केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और केवी थॉमस ने भी संबोधित किया.
बैठक में यह मांग भी उठी कि खाद्य सुरक्षा कानून का नाम दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर किया जाए और विपक्ष शासित राज्यों में इसे लागू करने में कांग्रेस नेताओं की व्यापक रायशुमारी शामिल हो.
बैठक में शामिल एक नेता ने बताया कि बैठक में राहुल के प्रारंभिक भाषण का लबोलुबाब यही था, ‘हमने उन्हें एक अधिकार दिया है. आप उन्हें संघर्ष के लिए तैयार करें.’ राहुल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार (मनरेगा), पहचान का अधिकार (आधार) देने जैसे वायदों को पूरा करने के बाद भोजन का अधिकार लेकर आई है.
राहुल ने प्रतिभागियों से कहा, ‘देश के इतिहास में पहली बार कोई सरकार नागरिकों को भोजन का अधिकार देने के लिए कानून बना रही है. आप इस संदेश को ब्लॉकों और गांवों में लेकर जाएं.’
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में विसंगतियों पर चिंता जताये जाने के बीच राहुल ने विश्वास जताया कि यह विधेयक जनता को कानूनी अधिकार देता है इसलिए यह संस्थानों पर दबाव बनाएगा और सतही स्तर पर बदलाव होंगे. एक प्रतिभागी नेता ने कहा, ‘उनका विचार है कि कानूनी अधिकार पीडीएस में खामियों को पाटेगा. इसे कानूनी दर्जा देने से व्यवस्था पर दबाव बनेगा और निचले स्तर पर बदलाव होंगे.’
जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने बैठक में राहुल के संबोधन के हवाले से कहा, ‘पहले हमें पूरी चीज को सही से समझना चाहिए और उसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों को समझाने में मदद करनी चाहिए. भारत सरकार इस विधेयक को ला रही है जो उस स्तर पर लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा जिस स्तर पर लोगों ने संघर्ष किया है.’
उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को अचानक अध्यादेश के तौर पर नहीं लाया गया है. समझा जाता है कि राहुल ने कहा, ‘हमने 2009 में यह वायदा किया था. जब विपक्षी दलों ने हमें संसद में इसे पारित नहीं करने दिया तो हम अध्यादेश लेकर आए.’
पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता सुनील जाखड़ ने अपने प्रदेश में पीडीएस प्रणाली में खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि 12,000 ऐसे हलफनामे हैं, जिनमें लोगों ने कहा है कि उन्हें पीडीएस की दुकानों से मिट्टी का तेल और अनाज नहीं मिला.
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के बीच आशंका है कि योजना से सब्सिडी पर रोक लगेगी. राहुल, थॉमस और रमेश ने नेताओं की तमाम आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया. राहुल ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को किसानों को बताना चाहिए कि यूपीए के शासन के दौरान अनाज पर सब्सिडी कम करने की कोई योजना नहीं है.
थॉमस ने कहा कि सरकार किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए इस मुद्दे पर अलग से घोषणा करेगी. कुछ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों और कांग्रेस विधायक दल के नेताओं ने यह चिंता भी जताई कि विपक्ष शासित राज्यों में लाभार्थियों की सूची बनाने में और योजना को लागू करने में बड़े स्तर पर धांधली होगी.
थॉमस ने कहा कि राज्य खाद्य आयोग और जिला स्तर शिकायत निवारण प्रणाली के प्रावधान हैं लेकिन संघीय ढांचे में राज्यों को ही योजना को लागू करना है. पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने बैठक में कहा कि विपक्षी दल जब केंद्र की योजनाओं को लागू करते हैं तो उनके मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की तस्वीरें लगाते हैं और पूरा श्रेय ले जाते हैं.
बाजवा ने कहा कि कोई प्रणाली बननी चाहिए ताकि विपक्षी दलों की भी योजना के क्रियान्वयन में भूमिका हो. मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय सिंह ने कहा कि राहुल ने उनसे इस विधेयक के महत्व के बारे में जानकारियों को जनता के बीच प्रचारित करने को कहा. सिंह ने साथ ही कहा कि इस विधेयक को चुनाव के साथ जोड़ना गलत होगा.
सूत्रों के मुताबिक खाद्य मंत्री के वी थामस ने बैठक में कहा कि लोगों के बीच यह गलत धारणा है कि इस कानून के लागू हो जाने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) समाप्त हो जाएगी. उन्होंने पार्टीजनों से इस धारणा को समाप्त करने को कहा.