
भारत और चीन के बीच रिश्ते बीते कुछ समय से तनाव भरे रहे हैं. सीमा विवाद को लेकर जारी तनाव को कम करन के लिए दोनों देशों में अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इस बीच, भारत और चीन के संबंधों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन पर दुनिया का काफी कुछ निर्भर करता है. दोनों देशों के बीच संबंधों का भविष्य किसी तरह के संतुलन या समझ पर पहुंचने से ही निर्भर करता है. एस जयशंकर ने ये बातें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) शिखर सम्मेलन में कही.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच समस्याएं हैं जो अच्छी तरह परिभाषित हैं. एस जयंशकर से पूछा गया कि क्या भारत और चीन अगले 10-20 वर्षों में दोस्त बन पाएंगे, जिस तरह से फ्रांस और जर्मनी ने अपने अतीत को खत्म कर एक नया रिश्ता बनाया है.
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जयशंकर ने इसका सीधा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन उन्होंने संबंधों के ऐतिहासिक पहलु की जानकारी दी. विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों पड़ोसी हैं. चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम एक दिन तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे. आप इसपर तर्क कर सकते हैं कि कब बनेंगे. हम जनसंख्या की दृष्टि से काफी अनूठे देश हैं. भारत और चीन केवल दो ऐसे देश हैं जहां की आबादी एक अरब से अधिक है. उन्होंने कहा कि हमारी समस्याएं भी लगभग उसी समय शुरू हुईं जब यूरोपीय समस्याएं शुरू हुई थीं.
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उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दोनों देशों के काफी मजबूत तरीके से उभरने के समय में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. हम दोनों देशों के समानांतर, लेकिन अलग-अलग उदय को देख रहे हैं. लेकिन ये सब हो रहा है जब दोनों देश पड़ोसी हैं. मेरे हिसाब से दोनों देशों के बीच किसी तरह की समानता या समझ तक पहुंचना बहुत जरूरी है.
एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन पर दुनिया का काफी कुछ निर्भर करता है. इस सवाल का जवाब देना आसान काम नहीं है. जो समस्याएं हैं उन्हें अच्छी तरह से रखी गई है. लेकिन मैं समझता हूं कि यह हमारी विदेश नीति के आकलन का केंद्र है.
भारत की विदेश नीति पर एस जयशंकर ने कहा कि देश उचित और समानता वाली दुनिया के लिए प्रयास करेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों की वकालत नहीं करने से 'जंगल राज' हो सकता है. विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम कानून और मानकों पर आधारित विश्व की वकालत नहीं करेंगे तो 'निश्चित रूप से जंगल का कानून होगा.