
दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शनकारियों ने रविवार को नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया से लेकर शाहीन बाग तक कैंडल मार्च निकाला. इस बीच, दिल्ली पुलिस में पूर्व एसीपी वेद भूषण ने कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई है.
अपनी शिकायत में पूर्व एसीपी वेद भूषण ने विरोध प्रदर्शन को 'गैर-कानूनी' बताया है और कहा है कि प्रदर्शन के कारण लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को गंतव्य तक जाने के लिए वैकल्पिक रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. बता दें, महीने भर से प्रदर्शनकारी सड़कों पर बैठ कर विरोध का इजहार कर रहे हैं. इस कारण ट्रैफिक यातायात पर गंभीर असर पड़ रहा है.
वेद भूषण ने शिकायत में लिखा है, मैं अपनी कार से शाहीन बाग रूट से गुजरना चाह रहा था. मैंने प्रदर्शनकारियों से गुजारिश की कि मुझे अपने घर जाने दिया जाए. प्रदर्शनकारी इस पर उग्र हो गए और बैरिकेड्स हटाने से मना कर दिया. कुछ लोगों ने नारेबाजी की और मुझे जान से मारने की धमकी दी. वेद भूषण ने लिखा है, इन लोगों (आरोपी) को मेरे सामने लाया जाए तो मैं उन्हें पहचान सकता हूं. प्रदर्शनकारियों ने गलत तरीके से मुझे रोका और गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी. वेद भूषण ने कहा, आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 341/342/506 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और उन्हें गिरफ्तार भी किया जाए.
दूसरी ओर, शाहीन बाग के 13 नंबर रोड पर बैठे लोगों को उठाने के लिए पुलिस बीच का रास्ता निकालने में जुटी है. इसे लेकर शाहीन बाग थाने में स्पेशल सीपी इंटेलिजेंस प्रवीण रंजन और डीसीपी चिन्मय बिस्वाल भी पहुंचे. एक मीटिंग की गई जिसमें प्रोटेस्ट से जुड़े बड़े लोगों को बुलाया गया. इसके बाद उनको समझाने की कोशिश की गई ताकि रोड पर बैठे लोग को उठाया जा सके. वहीं एक बात पुलिस के सामने ये भी रखी गई कि मांगों को लेकर पांच लोगों की एलजी से भी मुलाकात करवाई जा सकती है.
बता दें कि दिल्ली पुलिस नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं से सड़क खाली करने की अपील कर चुकी है. मगर प्रदर्शनकारी महिलाएं हटने को तैयार नहीं हैं.