
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल पिछले कई सालों से चंडीगढ़ में पंजाब सरकार की तरफ से दिए गए सरकारी बंगले में ही रह रही हैं. कोर्ट ने हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगाला और सुविधाएं छोड़ने का निर्देश दिया था.
पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर के सरकारी आवास पर लगी नेम प्लेट में भी उनके नाम के नीचे पूर्व मुख्यमंत्री का दर्जा लिखा गया है. दिलचस्प बात ये है कि फिलहाल राजिंदर कौर भट्ठल न तो विधायक हैं और न ही किसी अन्य संवैधानिक पद पर हैं, फिर भी उन्हें पंजाब सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते ही यह बंगला आवंटित किया गया है.
राजिंदर कौर के सरकारी बंगले को लेकर कई बार विपक्ष की ओर से भी सवाल खड़े किए गए हैं लेकिन भट्ठल का कहना है कि उन्हें ये सरकारी बंगला बतौर पूर्व मुख्यमंत्री नहीं दिया गया बल्कि आतंकवाद के खतरे से बचाने के लिए दिया गया है. उनका कहना है कि खालिस्तान समर्थक आतंकियों की तरफ से उनके परिवार को लगातार धमकियां मिलती रही हैं इसी वजह से सुरक्षा के मद्देनजर उनको चंडीगढ़ में ये सरकारी निवास दिया गया है.
पूर्व सीएम ने कहा कि वो सरकार से सिर्फ इस आवास के तौर पर सुविधा ले रही हैं उनको किसी कैबिनेट मंत्री के बराबर की सुविधाएं नहीं मिलती हैं. लेकिन असलियत में राजिंदर कौर भट्ठल को पंजाब सरकार की तरफ से एस्कॉर्ट पीसीआर वाहन भी दिए गए हैं और उन्हें अपने सरकारी बंगले में नौकर और मुफ्त बिजली-टेलीफोन जैसी तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. हालांकि राजिंदर कौर भट्ठल का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पंजाब सरकार की तरफ से कोई नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा तो ऐसे में वो तुरंत इस सरकारी बंगले को खाली कर देंगी.
राजस्थान में राजे के नाम 2 बंगले
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने के लिए भले ही कह दिया हो लेकिन राजस्थान सरकार भी पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा पड़ता दिख रहा है. राजस्थान में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम से 5 बंगले आवंटित है.
सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही पिछले साल उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने के लिए कहा था, अखिलेश सरकार के साथ-साथ वसुंधरा सरकार ने भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले की सुविधा के लिए बिल पारित कर दिया था. अब एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यंत्रियों को आवंटित बंगले खाली करने के लिए कहा है तो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत चिट्ठी लिखकर वसुंधरा सरकार से अपना बंगला खाली करने के लिए नियम-कानून पूछ रहे हैं.
राजस्थान में सीएम मुख्यमंत्री वसुंधरा जब चुनाव हारने के बाद नेता प्रतिपक्ष बनीं तो विपक्ष के नेता के नाते उन्हें यह जो बंगला मिला था वहीं बंगला उन्होंने सीएम बनने के बाद भी अपने पास रखा. सीएम का आधिकारिक आवास- 13 सिविल लाइंस तब से खाली पड़ा है. यानी राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा के नाम दो-दो बंगले आवंटित हैं.
नहीं खाली हुए सरकारी बंगले
मुख्यमंत्री राजे के बंगले के ठीक सामने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत को 42 नंबर का बंगला पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मिला हुआ है. उसके ठीक बगल में पूर्व मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के नाम से 14 नंबर का बंगला आवंटित है. इसमें उनके निधन के बाद से उनके दामाद नरपत सिंह राजवी रहते हैं जो कि बीजेपी के विधायक भी हैं.
इसी तरह से जयपुर में अस्पताल रोड पर पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के नाम भी एक बंगला आवंटित है. बीजेपी के विधायक घनश्याम तिवाड़ी कह रहे हैं कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों बंगला लेने के नाम पर मिली हुई हैं और दोनों ने मिलकर भूतपूर्व बनने पर अपने लिए बंगला सुरक्षित कर लिया है.
वसुंधरा सरकार ने राजस्थान विधानसभा में जो बिल पारित किया गया है उसके अनुसार एक बार जो मुख्यमंत्री रह गया, राज्यपाल बन जाए या राष्ट्रपति बन जाए, कुछ भी नहीं रहे फिर भी राजस्थान सरकार आजीवन उन्हें बंगला देगी. साथ ही कैबिनेट मंत्री के जितने स्टाफ होते हैं उतने स्टाफ भी उन्हें दिए जाएंगे.
कानून लाई वसुंधरा सरकार
राजस्थान सरकार की इस बिल के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगी है इस पर सुनवाई जारी है. बीजेपी विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने दो-दो बंगले रखने पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है. यूं तो राजस्थान में 1973 से पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला आवंटित करने का रिवाज रहा है लेकिन 2010 में पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला देने की घोषणा विधानसभा में की थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अशोक गहलोत सरकार ने बंगला आवंटित कर दिया था.
बीजेपी के संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है उसका अध्ययन कर हम उसके आलोक में हम कोई निर्णय लेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब राजस्थान सरकार को चिट्ठी लिख रहे हैं कि राज्य सरकार बताएं कि उन्हें क्या करना है बंगला खाली करना है या नहीं करना है. वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश देश भर में लागू होता है लेकिन राजस्थान सरकार इस पर खामोश है.