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12 साल की उम्र में PAK से आए थे खुराना, फिर जीता दिल्ली का दिल

मदन लाल खुराना जब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे, तभी राजनीति में कदम रख दिया था. वो साल 1959 में इलाहाबाद छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे और फिर साल 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव बने थे.

मदन लाल खुराना और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो- फेसबुक) मदन लाल खुराना और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो- फेसबुक)
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 6:09 AM IST

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने शनिवार देर रात दिल्ली स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. मदन लाल खुराना साल 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. उन्हें दिल्ली का शेर भी कहा जाता था.

अपने सक्रिय काल में मदन लाल खुराना राजस्थान के राज्यपाल भी रहे. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद (ब्रिटिश काल के लायलपुर) में 15 अक्टूबर 1936 में उनका जन्म हुआ था. जब वो 12 साल के थे, तब वो अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे और रिफ्यूजी कॉलोनी कीर्ति नगर में रहने लगे थे.

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खुराना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएट और फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई की. जब वो अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे, तभी राजनीति में कदम रख दिया. वो साल 1959 में इलाहाबाद छात्र संघ के महासचिव चुने गए और फिर साल 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव बने. वह जनसंघ के भी महासचिव रहे. इससे पूर्व वह दिल्ली के पीजीडीएवी कॉलेज(सांध्य) में शिक्षक भी रहे.

मदन लाल खुराना पिछले कुछ सालों से ब्रेन स्ट्रोक की वजह से कोमा में थे. डॉक्टर लगातार उनका इलाज कर रहे थे. साल 1999 में वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में संसदीय कार्यमंत्री भी बने थे. उनके राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव भी आया. 20 अगस्त 2005 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी की आलोचना करने पर उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया था. हालांकि 12 सितंबर 2005 को उन्हें एक बार फिर पार्टी में शामिल कर लिया गया.  

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दिसंबर 2003 में दिल्ली विधानसभा में भाजपा की हार के बाद उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और केंद्र की तत्कालीन सरकार ने उन्हें राज्यपाल बना दिया था. मदन लाल खुराना 11 बार चुनाव (लोकसभा, विधानसभा सब मिलाकर) जीते.खुराना जनसंघ के महासचिव भी रहे और इसके बाद बीजेपी की स्थापना के साथ वो उससे जुड़कर काम करने लगे.

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