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RSS के कार्यक्रम में शामिल होने नागपुर पहुंचे प्रणब मुखर्जी, इन कांग्रेसी नेताओं ने किया है विरोध

प्रणब मुखर्जी वही हैं, जिन्होंने साल 2010 में संघ और उसके सहयोगी संगठनों के आतंकी रिश्तों की जांच का प्रस्ताव पेश किया था. इसके बावजूद कांग्रेस के नेता चिंता में हैं कि आखिर प्रणब मुखर्जी ने संघ का न्योता क्यों स्वीकार कर लिया? इसको लेकर कांग्रेस नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मेहमान बनकर नागपुर पहुंच चुके हैं. बुधवार को नागपुर पहुंचने पर आरएसएस के स्वयंसेवक उन्हें लेने पहुंचे.

वहीं, प्रणब के नागपुर दौरे को लेकर कांग्रेस में खलबली मची हुई है. भले ही सीधे-सीधे कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी के RSS के कार्यक्रम में जाने को लेकर बयान नहीं दिया, लेकिन कुछ कांग्रेस नेताओं के बयानों से एक बात तो साफ है कि कांग्रेस को प्रणब दादा का नागपुर जाना नागवार गुजर रहा है.

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बुधवार को इन कांग्रेसी नेताओं की बयानबाजी के जवाब में RSS के थिंक-टैंक कहे जाने वाले मनमोहन वैद्य ने एक लेख लिखा. इसमें उन्होंने प्रणब के विरोध को कांग्रेस का बैद्धिक आतंकवाद करार दिया है.

इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस के नेताओं ने ये नसीहतें दी कि वो क्या बोलें और क्या न बोलें. हालांकि प्रणब मुखर्जी ने इन सबको दो टूक जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'मुझे जो बोलना होगा, मैं वहीं बोलूंगा. और नागपुर में जाकर ही बोलूंगा. मेरे पास कई चिट्ठियां और फोन कॉल आए हैं. मैंने किसी का जवाब नहीं दिया.'

प्रणब को किसने क्या कहा?

प्रणब मुखर्जी वही हैं, जिन्होंने साल 2010 में संघ और उसके सहयोगी संगठनों के आतंकी रिश्तों की जांच का प्रस्ताव पेश किया था. इसके बावजूद कांग्रेस के नेता चिंता में हैं कि आखिर प्रणब मुखर्जी ने संघ का न्योता क्यों स्वीकार कर लिया? इसको लेकर कांग्रेस नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.  इस पर संघ ने भी जवाब दिया है. पढ़िए इन कांग्रेसी नेताओं और संघ के बयान........

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1. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के RSS के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर वो होते, तो कभी RSS का न्योता कुबूल नहीं करते.

चिदंबरम ने कहा, 'प्रणब मुखर्जी आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं. ऐसे में इसकी चर्चा करनी ही बेकार है कि उन्हें उस कार्यक्रम में जाना चाहिए या नहीं. अगर मुझे निमंत्रण मिलता तो मैं उसे अस्वीकार कर देता. मगर अब जब वो निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं, तो उन्हें वहां जाना चाहिए और बताना चाहिए कि उनकी (संघ) विचारधारा में क्या गड़बड़ी है?'

2. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने खत लिखकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से RSS के कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लिखा, 'इस कदम से प्रणब मुखर्जी के पूरे राजनीतिक जीवन पर एक प्रश्न चिह्न लग सकता है. उनके संघ मुख्यालय जाने का फैसला RSS विचारधारा को मजबूती देने का काम कर सकता है.'

3. बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मैं प्रणब बाबू के फैसले से हैरान हूं. उन्होंने ही RSS के खतरे से आगाह किया था.'

4. असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने प्रणब से कहा, 'आप वेटरन कांग्रेस नेता रहे हैं. अपने फैसले पर फिर से विचार करें.' उन्होंने कहा कि प्रणब आप उस संस्था के कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं, जिसने आजतक राष्ट्रीय झंडे तक का आदर नहीं किया.

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5. पूर्व केंद्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ ने प्रणब मुखर्जी से कहा कि आपके जैसे कद्दावर नेता का चुनाव के पहले संघ के कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है.

6. मनमोहन वैद्य ने अपने लेख में कहा कि RSS के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को बुलाने का एक खास राजनीतिक तबके में विरोध हो रहा है, लेकिन संघ के किसी स्वयंसेवक ने प्रणब मुखर्जी को बुलाने का विरोध नहीं किया. एक कद्दावर नेता, जो देश के पूर्व राष्ट्रपति हैं, उन पर जूनियर नेता सवाल उठा रहे हैं. विचारों का ये अंतर, संवाद के भारतीय और गैर भारतीय नजरिए की वजह से है.

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