
मॉब लिंचिंग या भीड़ द्वारा हिंसा पर लगाम लगाने के लिहाज से केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में बनी सचिवों की समिति ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
गृह सचिव की अध्यक्षता में बनी सचिवों की समिति ने रिपोर्ट सौंपने से पहले विभिन्न वर्गों और हितधारकों से विचार विमर्श किया, वहीं मॉब लिंचिंग पर एक नया कानून बनाने की संभावना पर भी विचार किया. जिसके बाद यह रिपोर्ट गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अध्यक्षता वाले मंत्री समूह को सौंपी गई.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्री-समूह अंतिम निर्णय के लिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सिफारिशें भेजेगा. सचिवों की समिति के विचार-विमर्श के अंतिम नतीजे के बारे में अभी पता नहीं चल सका है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने संसदीय मंजूरी के जरिए आईपीसी (भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता) और सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) में प्रावधान जोड़कर कानून को सख्त बनाने के सुझाव दिए हैं.
समिति की रिपोर्ट पर अब मंत्री समूह द्वारा चर्चा की जाएगी जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत सदस्य के तौर पर शामिल हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस मंत्री समूह के प्रमुख हैं.
गौरतलब है कि पिछले एक साल में नौ राज्यों में करीब 40 लोगों की हत्या भीड़ द्वारा पीट-पीटकर किए जाने के बाद. इस मुद्दे पर संसद के मॉनसून सत्र में चर्चा भी हुई, जिसमें राजनीतिक दलों की तरफ से एक स्वर में नया कानून बनाए जाने की मांग की गई थी.
बता दें कि पिछले महीने गृह मंत्रालय ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया था.
केंद्र ने उनसे कहा था कि वह हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी की नियुक्ति करें, खुफिया सूचना जुटाने के लिए एक विशेष कार्य बल बनाएं और सोशल मीडिया में चल रही चीजों पर पैनी नजर रखें ताकि बच्चा चोरी या मवेशी तस्करी के संदेह में भीड़ की ओर से किए जाने वाले हमले रोके जा सकें.