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देश के चार हिस्सों में सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर नेशनल कोर्ट ऑफ अपील बनाने के आइडिया को मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह ऐसे चार कोर्ट बनाने से कोई फायदा नहीं होगी.
निचली अदालतों में पेंडिंग तीन करोड़ केसों से दिक्कत: रोहतगी
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'असली दिक्कत सुप्रीम कोर्ट के केसों की नहीं है बल्कि देश भर की निचली अदालतों में पेडिंग तीन करोड़ केसों की है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर राज्यों में
चार कोर्ट ऑफ अपील बनाने का कोई फायदा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में वी वसंत कुमार नाम के एक व्यक्ति ने एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर देश के 4 क्षेत्रों में नेशनल कोर्ट ऑफ अपील बनाए जाएं. जहां पर हाईकोर्ट
से तय हुए मामलों के खिलाफ अपीलों को सुना जाए और केवल ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट सुनवाई ले लिए यहां से भेजे जाएं, जिनमें संवैधानिक और क़ानून की व्याख्या से जुड़े हुए मुद्दे हों. अन्य मामलों का निपटारा ये
नेशनल कोर्ट आफ अपील द्वारा कर दिया जाए. इससे दूर दराज के राज्यों से सुप्रीम कोर्ट आने वाले लोगों को भी न्याय मिलने में सहूलियत होगी.
28 अप्रैल को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई 28 अप्रैल को जारी रखेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को इस मामले में सभी संभावनाओं को तलाशना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस
ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने अटॉर्नी जनरल और कोर्ट मित्र सलमान खुर्शीद तथा के के वेणुगोपाल को सारी संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम मामले को संविधान पीठ को भेज
देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ के समक्ष यह भी एक मामला रहेगा कि कोई केस 8 सालों से लंबित है तो उसे न्याय मिलने में देरी माना जाएगा या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में मामले बढ़ते जा रहे हैं और ये संभव नहीं है कि जजों की संख्या 30 से 150 की जाए.