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दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के झटके

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर और पूर्व भारत के कई हिस्सों में मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र नेपाल में बताया जा रहा है, जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 7.3 मापी गई है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2015,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर और पूर्व भारत के कई हिस्सों में मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र नेपाल में बताया जा रहा है, जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 7.3 मापी गई है.

भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि भूकंप के झटके दिल्ली के साथ-साथ बिहार, यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान गुवाहाटी, पश्चि‍म बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत कुछ नॉर्थ ईस्ट इलाकों में भी महसूस किए गए.

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भूकंप के ताजा झटकों के कारण बिहार में 16 लोगों की मौत हो गई है. नेपाल के साथ ही अफगानिस्तान में भी भूकंप आया, जहां इसकी तीव्रता 6.2 मापी गई. भूकंप के कारण दिल्ली में मेट्रो रेलगाड़ियों का परिचालन थोड़ी देर के लिए रोक दिया गया. राजधानी में एक बाद एक 6-7 भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके आने के बाद लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए.

भूकंप से नेपाल, भारत और चीन प्रभावित
यूएसजीएस ने कहा है कि रिएक्टर पैमाने पर नेपाल के कोडारी में भूकंप की तीव्रता 7.4 मापी गई. भूकंप का केंद्र चीन-नेपाल सीमा से लगे तिब्बत क्षेत्र में झाम शहर के दक्षिण पूर्व 22 किलोमीटर दूर और जमीन के नीचे 18.5 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. लिहाजा, नेपाल और भारत के साथ ही चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.

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भारतीय मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि भूकंप का केंद्र नेपाल में लामजंग से दक्षिण पूर्व 60 किलोमीटर पर स्थित था, जहां 25 अप्रैल को पहला विनाशकारी भूकंप आया था, वहीं चीन के भूकंप नेटवर्क केंद्र ने कहा है कि रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.5 मापी गई है और इसका केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था.

चीन को ज्यादा नुकसान
आईआईटी रूड़की के भूकंप विभाग के प्रोफेसर डॉ. दया शंकर ने बताया है कि भूकंप का केंद्र नेपाल-चीन सीमा पर था इसलिए नेपाल के मुकाबले इससे चीन को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है. डॉ. शंकर ने कहा कि इंडियन प्लेट्स और युरेशियन पलेट्स के आपस में टकराने के कारण भूकंप आ रहे हैं. जब भी भूकंप आते हैं, जमीन से एनर्जी रिलीज होती और कुछ एनर्जी दूसरी जगह चली जाती है. इसी वजह से कुछ दिन बाद थोड़ी दूर पर दूसरी जगह भूकंप आता है.

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