
रविवार और बीती रात आए झटके के बाद से ही लोग घर जाने से कतरा रहे थे. लगातार दूसरे दिन नेपाल ने खुले आसमान के नीचे सोया. अब तक नेपाल में 4000 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 6 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हैं. भारत में तकरीबन 72 लोग भूकंप की वजह से मर चुके हैं. सिर्फ काठमांडू में करीब 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. नेपाल में राहत कार्यों की समीक्षा के लिए PM मोदी ने आज 8 बजे 7 RCR पर बैठक बुलाई है.
संसद में दी गई श्रद्धांजलि
सोमवार को भारतीय संसद के दोनों सदनों में लोगों की मौत पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मौन रखा गया और नेपाल के साथ खड़े रहने का संकल्प दोहराया गया. लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भूकंप को लेकर चेतावनी सिस्टम की जरूरत बताई और कहा कि विपदा की इस घड़ी में देश नेपाल के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि विकास की दौड़ में कहीं हम प्रकृति के साथ तो खिलवाड़ नहीं कर रहे. वहीं आरजेडी ने संसद में कहा कि ताजमहल भी भूकंप के खतरे में है. उधर नेपाल में राहत की बात यह है कि अब वहां मौसम साफ बताया जा रहा है, जिससे राहत और
बचाव के कामों में तेजी आएगी.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि राहत-बचाव के काम पर प्रधानमंत्री ने भी उच्च-स्तरीय बैठक की. हमने पहले दिन से मदद अभियान शुरू कर दिया और इसके लिए जो भी जरूरत होगी, हम करेंगे. प्रधानमंत्री ने सब मुख्यमंत्रियों से भी बात की है.
भारत के अलावा अमेरिका, चीन, तुर्की, पोलैंड, सिंगापुर और जापान ने भी नेपाल को मदद की पेशकश की है. भारत से अलग-अलग मंत्रालयों के अधिकारियों की एक टीम नेपाल के लिए रवाना हुई है. इस टीम में गृह, रक्षा, विदेश और एनडीएम के अधिकारी शामिल हैं. यह टीम वहां राहत और बचाव के काम पर नजर रखेगी. गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव बीके प्रसाद टीम की अध्यक्षता कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने भारतीय को बचाने पूरी ताकत झोंक दी है. सेना के 13 विमानों के साथ बसें भी बचाव की मुहिम में शामिल की जा रही हैं. रक्सौल और सोनौली के रास्ते सोमवार को 60 बसें नेपाल रवाना होंगी.
माउंट एवरेस्ट बेस कैंप में 22 पर्वतारोहियों की मौत
नेपाल में भीषण भूकंप की वजह से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन से दुनिया की सबसे उंची चोटी के बेस कैंप के एक हिस्से में कम से कम 22 पर्वतारोहियों की मौत हो गई, जबकि वहां विदेशियों
सहित सैकड़ों पर्वतारोही फंसे हुए हैं. हिमस्खलन की जद में बेस कैंप के आने से वहां 60 से अधिक पर्वतारोही घायल हो गए और सैकड़ों विदेशी पर्वतारोहियों और गाइड के लापता होने की आशंका
है. हिमस्खलन की वजह से शिविर का एक हिस्सा शनिवार को बर्फ में दब गया.
बहुत तेजी से सेना कर रही है कार्रवाई
एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने बताया कि भारतीय प्राधिकारियों ने बहुत तेजी से कार्रवाई की और मुझे लगता है कि जरूरत के समय नेपाल में मानवीय सहायता और राहत अभियानों में मदद
करने के लिए भारत में इच्छुक प्रत्येक पक्ष सक्रिय हो गया.' उन्होंने कहा, 'आज हमने सेना, खास कर उनकी कुछ फील्ड इंजीनियर कंपनियों, रेजीमेंट की ओर से उपकरण लेकर 10 बड़े विमान भेजने
की योजना बनाई है. एक विमान जा चुका है और अन्य विमान तैयार हो रहे हैं. अभियान पूरा दिन चलेगा.'