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कोरोना इफेक्ट: शानदार तैयारी से स्थगन तक- टोक्यो ओलंपिक की ऐसी रही मुश्किल डगर

टोक्यो की प्रशंसा अब तब के सबसे अच्छे मेजबान शहर के रूप में की गई थी, लेकिन कोई भी कोरोना वायरस महामारी से निपटने की योजना नहीं बना सका.

Unprecedented postponement of the 2020 Games (Getty) Unprecedented postponement of the 2020 Games (Getty)
aajtak.in
  • टोक्यो,
  • 24 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 10:26 PM IST

  • कई बार टोक्यो में संकट के बादल छाए...
  • आखिरकार कोरोना वायरस भारी पड़ा

टोक्यो की प्रशंसा अब तब के सबसे अच्छे मेजबान शहर के रूप में की गई थी, लेकिन कोई भी कोरोना वायरस महामारी से निपटने की योजना नहीं बना सका, जिससे 2020 खेलों के अभूतपूर्व स्थगन के लिए मजबूर होना पड़ा. आयोजकों ने तैयारियों से सबका दिल जीता, लेकिन वायरस के प्रकोप का खतरा पैदा होने से पहले कई बार इस पर संकट के बादल छाए.

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इस दौरान भ्रष्टाचार और बजट की गड़बड़ी के आरोपों का साया खेलों पर पड़ा. आखिरकार जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने मंगलवार को आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक से चर्चा कर इन खेलों को अगले साल तक टालने का फैसला कर लिया.

जानिए ओलंपिक घटनाक्रम को -

2013: खुशी के आंसू

सितंबर 2013 में टोक्यो को आईओसी ने ओलंपिक की मेजबानी सौंपी, जिसके बाद जापान के हजारों लोग खुशी से झूम उठे. प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वादा किया कि टोक्यो सुरक्षित हाथों में है.

2015: स्टेडियम की योजना रद्द

ओलंपिक के लिए सबसे महंगे स्टेडियम के कारण आलोचना झेलने के बाद आबे को राष्ट्रीय स्टेडियम के खाके को रद्द करना पड़ा, जिससे उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘मैंने फैसला किया है कि हमें फिर से इसका खाका तैयार करना होगा.'

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2015: प्रतीक चिह्न रद्द

सितंबर 2015 में चोरी का आरोप लगने के बाद इसके प्रतीक चिह्न को रद्द कर दिया गया. डिजाइनर ओलिवियर डेबी ने आरोप लगाया कि इसका लोगो बेल्जियम के थिएटर से चुराया गया है. उन्होंने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी, जिसके बाद आयोजन समिति ने यह कहते हुए प्रतीक चिह्न को वापस ले लिया, ‘जनता को इसका समर्थन हासिल नहीं है.’

कोरोना कमांडोज को यहां कहें शुक्रिया

2018: प्यारा शुभंकर

प्रतीक चिह्न में हुई चूक के बाद स्कूली बच्चों द्वारा चुने गए ओलंपिक और पैरालंपिक के ओलंपिक शुभंकर ‘मिराटोवा’ का सही तरीके से जारी होने से आयोजन समिति ने राहत की सांस ली.

ये भी पढ़ें- बजरंग पूनिया की अपील- टालो टोक्यो ओलंपिक, छह महीने का वेतन दान करेंगे

2018: मुक्केबाजी विवाद

एक अभूतपूर्व कदम के तहत अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने विभिन्न आरोपों के साथ खेलों में मुक्केबाजी प्रतियोगिता के संचालन का अधिकार एआईबीए से वापस ले लिया. बाद में हालांकि आईओसी ने खुद ही मुक्केबाजी टूर्नमेंट का आयोजन करने की बात कही.

2019: रूस पर प्रतिबंध

खेलों में रूस की भागीदारी पर दिसंबर में उस समय सवाल उठा जब डोपिंग रोधी एजेंसी वाडा ने ओलंपिक डोपिंग डेटा को लेकर ओलंपिक सहित वैश्विक आयोजनों से चार साल तक देश के एथलीटों पर प्रतिबंध लगाया. रूस ने अपील करने की, लेकिन मार्च 2020 में नए कोरोना वायरस विश्व स्तर पर फैलने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई.

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2020: रद्द करना ‘अकल्पनीय’

मार्च के तीसरे सप्ताह में कोरोना वायरस के चपेट में 3,25,000 से अधिक लोग आ गए, जबकि 14,400 से अधिक की मौत हो गई. इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित किया. आयोजकों पर इसके टालने का दबाव बना, लेकिन उन्होंने इसे ‘अकल्पनीय’ करार दिया.

24 मार्च 2020

आईओसी और जापान ने अंततः एक ऐतिहासिक फैसले में ओलंपिक को स्थगित करने का फैसला किया.

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