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कभी थे चाय बेचने को मजबूर, आज हैं महाराष्ट्र के ब्रांड एम्बेस्डर...

महाराष्ट्र के सोमनाथ गिरम राज्य में एजुकेशन के ब्रांड एम्बेस्डर हैं. आज वह समाज की नजरों में एक सफल इंसान हैं लेकिन इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि वे कभी बेहद गरीब थे और दो जून की रोटी की जुगाड़ में पुणे में चाय की स्टॉल लगाया करते थे....

Somnath Giram Somnath Giram
विष्णु नारायण
  • पुण्‍ो,
  • 03 जून 2016,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

हम अपने बचपन के दिनों में अपनी दादा-दादी से किस्से-कहानियां सुना करते थे कि फलां के पास किस तरह एक भी पैसे नहीं थे. फलां ने किस प्रकार रात-रात भर जाग कर पढ़ाई की थी. उसे किस तरह पैसे के अभाव में मजदूरी करनी पड़ी. किस प्रकार रिक्शा खींचना पड़ा और चाय की रेहड़ी तक लगानी पड़ी. महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में रहने वाले सोमनाथ गिरम के सफलता की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वे एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे थे और कभी दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष किया करते थे.

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चाय की टपरी (स्टॉल) से की शुरुआत...
सोमनाथ महाराष्ट्र प्रांत के सोलापुर जिले के रहने वाले हैं. वे उनके पिता एक छोटे किसान हैं और उन्होंने अपना बचपन बेहद गरीबी में गुजारा है. वे अपनी पढ़ाई (ग्रेजुएशन) भी गांव में पूरी नहीं कर सके. उन्हें जब गांव के आसपास के इलाके में कोई पार्ट टाइम नौकरी भी नहीं मिली तो किसी दोस्त की सलाह पर वे साल 2008 में पुणे का रुख कर गए. वहां उन्होंने दोस्त की सलाह पर सदाशिव पेठ इलाके में एक चाय स्टॉल (टपरी) खोली. उनके बिजनेस में उन्हें थोड़ा-बहुत फायदा हुआ और वे आगे की पढ़ाई के बारे में भी सोचने लगे.

सीए की परीक्षा देने का लिया फैसला...उनके द्वारा शुरू की गई चाय की दुकान उनके लिए जीविकोपार्जन का साधन बन गई. ग्रेजुएशन करने के बाद वे आगे की पढ़ाई करना चाहते थे. उन्होंने एमबीए करने के बारे में भी सोचा लेकिन उसके महंगे होने की वजह से उन्होंने उसके बारे में नहीं सोचा. उन्होंने सीए (Chartered Accountant) की रीक्षा देने का फैसला लिया. ज्ञात हो कि सीए को भारत के भीतर सबसे कठिन परीक्षाओं में शुमार किया जाता है. परीक्षा के दौरान तो वे कई बार अपनी दुकान संभालने के लिए दूसरों को हायर किया करते थे.

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दिन भर के काम की थकान के बाद भी करते थे पढ़ाई...
सोमनाथ कहते हैं कि वे रोज सबेरे ही चाय की दुकान लगा लिया करते थे और देर रात वहां से लौटते थे. पूरे दिन खड़े होने की वजह से वे बिल्कुल टूट जाया करते थे. इसके बावजूद भी वे रात के दो बजे तक पढ़ाई करते थे और फिर अगली सुबह दुकान खोलने को तैयार हो जाया करते थे.

उनकी इस इच्छाशक्ति और संघर्ष यात्रा का ख्याल रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने Earn and Learn स्कीम का ब्रांड एम्बेस्डर बना दिया है. जिसका मकसद रुपये-पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़ने वाले युवाओं को प्रेरित करने का है. सोमनाथ गिरम आज उन तमाम युवायों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो थोड़ी-बहुत आर्थिक व पारिवारिक दिक्कतों के समक्ष घुटने टेक देते हैं. गरीबी के आगे टूट जाते हैं और हर तरह के समझौते करने को तैयार हो जाते हैं. अब हम तो यही चाहेंगे कि सोमनाथ यूं ही आगे बढ़ते रहें और दूसरों को प्रेरित करते रहें.

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