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फर्नीचर को लग्जरी आइटम की श्रेणी में रखने से नाराज हैं व्यापारी

जीएसटी लागू होने के साथ-साथ किसी भी तरह का फर्नीचर लग्जरी आइटम की कैटेगरी में आ जाएगा. इसी के चलते उस पर लगने वाला टैक्स 28 प्रतिशत कर दिया गया है.

जीएसटी लॉन्चिंग जीएसटी लॉन्चिंग
स्मिता ओझा/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2017,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

जीएसटी को लेकर देश भर के व्यापारी जोर-शोर से अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं. राजधानी के फर्नीचर व्यापारी भी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते केवल दिल्ली में ही अब तक करोड़ों के नुकसान का अनुमान है. पहले फर्नीचर की खरीद पर 12 फीसदी टैक्स लगा करता था, जिसको बढ़ा कर 28 फीसदी कर दिया गया है. अब फर्नीचर के छोटे-बड़े शोरूम्स के मालिकों के साथ-साथ फर्नीचर बनाने वाले छोटे से छोटे फैक्ट्री मालिक भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे, जिनको अभी तक टैक्स के नाम पर एक पैसा नहीं देना पड़ता था.

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जीएसटी लागू होने के साथ-साथ किसी भी तरह का फर्नीचर लग्जरी आइटम की कैटेगरी में आ जाएगा. इसी के चलते उस पर लगने वाला टैक्स 28 प्रतिशत कर दिया गया है यानी अगर अब आप कोई फर्नीचर खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे. फर्नीचर व्यापार संघ के प्रेसिडेंट रतिंदर भाटिया का कहना है, 'हमारा विरोध जीएसटी को लेकर नहीं है, हम फर्नीचर को लग्जरी आइटम की कैटेगरी में रखने से नाराज़ हैं, फर्नीचर किसी भी घर के लिए लग्जरी नहीं जरूरत है और उस पर 28 फीसदी कर लेना कहीं से जायज़ नहीं है.'

 

कीर्ति नगर के फर्नीचर कारोबारियों का हाल

देश भर के फर्नीचर उद्योग का सबसे बड़ा हिस्सा छोटी फैक्ट्रियां हैं, जहां होम डेकोरेशन से जुड़े हर तरह के फर्नीचर बनाए जाते हैं. बड़े-बड़े शोरूम्स यहीं से मनमाने दामों पर फर्नीचर खरीदते हैं. पहले किसी भी टैक्स स्लैब का हिस्सा नहीं थे क्योंकि इनकी आमदनी ज्यादा नहीं होती, पर अब इनको भी 28 फीसदी कर चुकाना होगा. कीर्ति नगर में छोटी सी फर्नीचर फैक्ट्री के मालिक श्याम लाल का कहना है, 'हम तो बर्बाद हो जाएंगे, हमने मोदी जी पर भरोसा किया पर वो हमसे हमारी रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं, हम टैक्स चुकाएं कि मकान मालिक का किराया दें कि कामगारों की मजदूरी, हम तो बर्बाद हो गए.'

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पंचकुइया फर्नीचर मार्केट

दिल्ली के पंचकुइया इलाके में मौजूद सभी फर्नीचर शोरूम के मालिक बेहद परेशान हैं. ज्यादातर लोगों ने कभी कंप्यूटर नहीं चलाया, जिसके कारण अब वो डरे हुए हैं. महीने में तीन बार रिटर्न फाइल करना आसान नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर व्यापारी कच्चे बिल का इस्तेमाल करते हैं, अब सारा लेखा-जोखा कंप्यूटर पर रखने के साथ-साथ एक अकाउंटेंट भी रखना होगा.

 

नोएडा फर्नीचर मार्केट

नोएडा में भी छोटे-बड़े फर्नीचर शोरूम्स के साथ-साथ फर्नीचर बनाने वाली फैक्ट्रियां भी हैं. यहां हर वर्ग के लिए सामान बनाए और बेचे जाते हैं. ऐसे में यहां के दुकानदार और फैक्ट्री मालिक भी परेशान हैं. विशाल फर्नीचर के मालिक का कहना है, 'सबसे ज्यादा परेशानी का कारण जानकारी का अभाव है, सरकार की तरफ से जीएसटी बिल को समझने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किया गया और ना ही वर्कशॉप रखी गई, जागरुकता के अभाव में सभी परेशान हैं.'

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