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जानें 1857 के गदर की वो गाथा...

सन् 1857 में आज ही के दिन अमर शहीद मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. यह गदर की शुरुआत थी जिसने आगे चलकर अंग्रेजों के भारत छोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया.

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विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2016,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

कहा जाता है कि इतिहास वही लिखवाते हैं जो किसी युद्ध में जीत जाते हैं. भारतीय इतिहास के पहले स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेजों ने सिपाही विद्रोह कहके खारिज करने की कोशिश की. लेकिन हम भारतीयों के लिए यह आजादी के लड़ाई का बिगुल बजने जैसा था. सन् 1857 में आज ही के दिन अंग्रेजों के लिए लड़ने वाले सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

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1. कहा जाता है कि सूअर और गोमांस की मदद से बनने वाली कारतूसों की वजह से सैन्य विद्रोह की आग भड़की थी.

2. गोमांस वाले कारतूसों पर विद्रोह करने वाले पहले सिपाही मंगल पांडे थे.

3. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों को अपनी सेना, प्रशासन और वित्तीय व्यवस्था का पुनर्निमाण करना पड़ा.

4. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे और कोटवाल धन सिंह गुर्जर को इस विद्रोह का नायक माना जाता है.

5. इस विद्रोह का अंत भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और भारत पर ब्रितानी ताज के प्रत्यक्ष शासन के तौर पर हुआ. भारत में ब्रितानी राज का शासन 90 वर्षों तक चला.

6. सन् 1857 में मचने वाले गदर के लिए इतिहासकार विभिन्न राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, सैनिक तथा सामाजिक कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं.

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