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प्रदूषण होगा कम, अप्रैल 2020 से लागू होगा बीएस-6 नियम

दिल्ली में गाड़ियों से बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बीएस-5 को छोड़ते हुए एक अप्रैल, 2020 से सीधे भारत चरण (बीएस) 6 वाहन उत्सर्जन नियमों को लागू करने का फैसला लिया है.

बीएस-5 से कहीं ज्यादा सख्त  है बीएस-6 उत्सर्जन नियम बीएस-5 से कहीं ज्यादा सख्त है बीएस-6 उत्सर्जन नियम
स्वाति गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

वाहनों के प्रदूषण पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार ने बीएस-5 को छोड़ते हुए एक अप्रैल, 2020 से सीधे भारत चरण (बीएस) 6 वाहन उत्सर्जन नियमों को लागू करने का फैसला लिया. बीएस-6, बीएस-5 से कहीं ज्यादा सख्त उत्सर्जन नियम है.

बैठक में लिया गया फैसला
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई एक अंतर मंत्रालयी बैठक में यह फैसला लिया गया. बैठक में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल थे.

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पर्यावरण के लिए एक बड़ा फैसला
बैठक के बाद गडकरी ने बताया, सरकार ने एक अप्रैल, 2020 से बीएस-5 से सीधे बीएस-6 की ओर रुख करने का फैसला किया है. हमने बीएस-5 उत्सर्जन नियमों को छोड़ने का फैसला किया है. यह एक बड़ा फैसला है और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि अन्य सभी मंत्रालयों ने इसका क्रियान्वयन सफल बनाने के लिए सहयोग का आश्वासन दिया है.

यूरो-4 से यूरो-6 ईंधन की ओर रुख
दिसंबर के अंत में प्रधान ने कहा था कि भारत यूरो-4 उत्सर्जन नियमों के अनुपालन वाले पेट्रोल व डीजल से 2020 तक सीधे यूरो-6 ईंधन पर जाएगा. इससे पहले भी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय , पेट्रोलियम मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय एवं पर्यावरण व वन मंत्रालय के प्रतिनिधियों की एक अंतर मंत्रालयी बैठक हुई थी, लेकिन उसमें इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन सकी थी.

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कई शहरों में बीएस-4 ईंधनों की आपूर्ति
वर्तमान में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में बीएस-4 ईंधनों की आपूर्ति की जा रही है, जबकि देश के बाकी हिस्से में बीएस-3 ईंधन की आपूर्ति की जा रही हैं.

क्या हैं BS(भारत चरण) के नॉर्मस् ?
वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर गाड़ियों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए 'भारत चरण उत्सर्जन मानक'(BS) की शुरुआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में की थी. इसके विभिन्न मानदंडों को समय और मानकों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लाया जाता है. भारत चरण (BS) मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं.

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