
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) अपने नए मिशन पर लग गया है. इस समय इसरो में एकसाथ करीब 5 से 6 प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण है गगनयान. यानी भारत का वह गौरवशाली मिशन जिसमें तीन भारतीयों को अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजा जाएगा. ये अंतरिक्षयात्री (Astronauts) 7 दिनों तक गगनयान में पृथ्वी से करीब 300 से 400 किमी ऊपर यात्रा करेंगे.
ये सभी अंतरिक्षयात्री एक क्रू मॉड्यूल में बैठे रहेंगे. यह एक त्रिकोण-गोल तंबू जैसा कैप्सूल है, जिसमें तीनों अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष की सैर करेंगे. इसरो बहुत जल्द इस क्रू मॉड्यूल के एबॉर्ट सिस्टम (यानी रॉकेट से अलग होने की प्रणाली) का टेस्ट करेगा. यह टेस्ट अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है. अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भेजने से पहले इसरो इस टेस्ट को चार बार करेगा. ताकि इसमें काम करने वाली सभी प्रणालियों की बारीकी से जांच की जा सके.
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इमरजेंसी में क्रू मॉड्यूल रेगिस्तान या समुद्र में गिरेगा
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस. सोमनाथ ने वॉशिंगटन डीसी में आयोजित इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में यह जानकारियां देते हुए कहा कि इस टेस्टिंग के लिए इसरो अलग से एक नया लिक्विड प्रोपेलेंट रॉकेट तैयार कर रहा है. यह टेस्ट इसलिए जरूरी है क्योंकि अंतरिक्ष में अगर कोई आपातकालीन स्थिति बन जाए तो इसी क्रू मॉड्यूल के जरिए हमारे अंतरिक्षयात्री पृथ्वी के किसी रेगिस्तान या समुद्र में लैंड कर सकें. इस लैंडिंग में क्रू मॉड्यूल में लगे बड़े पैराशूट मदद करेंगे, ताकि क्रू मॉड्यूल की लैंडिंग हार्ड न हो.
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विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया कि गगनयान का पहला मानवरहित परीक्षण दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में प्रस्तावित है. दिसंबर 2021 में तीन अंतरिक्षयात्रियों को लेकर गगनयान अंतरिक्ष में जाएगा. गगनयान को अंतरिक्ष में इसरो के फैट ब्वॉय रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. भारतीय अंतरिक्षयात्रियों के पहले बैच की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है.
2021 में भेजा जाएगा गगनयान, तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री करेंगे स्पेस की यात्रा
चंद्रयान-2 मिशन के बाद इसरो (ISRO) और भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) गगनयान (Gaganyaan) मिशन में लग गए हैं. गगनयान भारत का वह महत्वकांक्षी मिशन है, जिसमें तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में 7 दिन की यात्रा के लिए भेजना है. भारतीय वायुसेना ने इसके लिए 10 टेस्ट पायलटों का चयन कर लिया है. भारतीय वायुसेना ने हाल ही में ट्वीट करके कहा था कि अंतरिक्षयात्रियों के चयन का पहला चरण पूरा कर लिया गया है. सभी चयनित 10 टेस्ट पायलटों के सेहत की इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में जांच की गई है. इसमें ये सभी 10 पायलट सफलतापूर्वक पास हो चुके हैं.
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7 दिनों तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से 400 किमी ऊपर लगाएंगे चक्कर
वायुसेना ने शुरुआत में कुल 25 पायलटों का चयन किया था. इनमें से पहला चरण सिर्फ 10 पायलट ही पार कर पाए. इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने हाल ही में भुवनेश्वर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि दिसंबर 2021 में इसरो तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा. उससे पहले दो अनमैन्ड मिशन होंगे. ये दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में किए जाएंगे. इन दोनों मिशन में गगनयान को बिना किसी यात्री के अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके बाद दिसंबर 2021 में मानव मिशन भेजा जाएगा. ये मिशन 7 दिनों का होगा. एक हफ्ते तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से 400 किमी की ऊंचाई पर यात्रा करेंगे.
रूस दे रहा भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग, मिशन की लागत 10 हजार करोड़
इसरो के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक रूस गगनयान में जाने वाले तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देगा. इन पायलटों को ट्रेनिंग के लिए इसी साल नवंबर के बाद रूस भेजा जा सकता है. गौरतलब है कि देश के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 में रूस के सोयूज टी-11 में बैठकर अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे. राकेश शर्मा भी भारतीय वायुसेना के पायलट थे. 10 हजार करोड़ रुपए के बजट वाले गगनयान मिशन की घोषणा पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.