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टूरिस्ट हब बनेगी गंगा, मोदी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू, सचिवों की समिति एक महीने में देगी रिपोर्ट

एनडीए सरकार का पायलट प्रोजेक्ट गंगा के कायाकल्प का श्रीगणेश हो चुका है. चार मंत्रालय के सचिव मिलकर एक महीने में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगे. सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से होता रहा तो गंगा ना केवल साफ होगी बल्कि जल्दी ही गंगा में मालवाहक नौकाएं चलेंगी और टूरिस्टों के लिए गंगा हॉट हब बन जाएगी. यानी गंगा तब जीवन के साथ जीविका भी देने लगेगी.

गंगा नदी की फाइल फोटो गंगा नदी की फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2014,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

एनडीए सरकार का पायलट प्रोजेक्ट गंगा के कायाकल्प का श्रीगणेश हो चुका है. चार मंत्रालय के सचिव मिलकर एक महीने में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगे. सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से होता रहा तो गंगा ना केवल साफ होगी बल्कि जल्दी ही गंगा में मालवाहक नौकाएं चलेंगी और टूरिस्टों के लिए गंगा हॉट हब बन जाएगी. यानी गंगा तब जीवन के साथ जीविका भी देने लगेगी.

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बैठक में तय किया गया कि मंत्रालयों के सचिव डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगे और उस पर जल्द से जल्द काम शुरू हो जाएगा.

गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने कहा, ‘एक बार फिर गडकरी जी ने गंगा की सुध ली है. जल्दी ही गंगा का अविरल प्रवाह होगा. गंगा साफ होगी और जीवन के साथ और जीवन के बाद हमारे उद्धार का स्रोत भी. वन पर्यावरण, ऊर्जा, जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार, जहाजरानी और पर्यटन मंत्रालय के इस साझा पायलट प्रोजेक्ट के मुताबिक गंगा के पुनरुद्धार की इस परियोजना में कई पहलुओं का साथ रखा गया है.

इस प्रोजेक्ट को एथिक्स, इकोलॉजी और इकोनॉमी से सीधा जोड़ा जाएगा. इसके लिए रुड़की सहित तीन जगह रिसर्च सेंटर बनाये जाएंगे.

- गंगा में वाराणसी से हुगली तक मालवाहक और यात्री नौकाएं चलाई जाएंगी.
- नावों के परिचालन के लिए 45 मीटर चौड़े और तीन से पांच मीटर गहरे कॉरीडोर बनाये जाएंगे. ताकि नावें आराम से चल सकें.
- जलमार्ग से मालभाड़े में तीन गुना कमी आएगी. सड़क मार्ग से औसतन डेढ़ रुपये माल ढुलाई की लागत आती है वहीं नौका के जरिए ये पचास पैसे तक आएगी.
- गंगा में हर सौ किलोमीटर की दूरी पर ऐसे पुल बनाये जाएंगे जिनमें छोटे बांध भी बने होंगे. इससे गंगा जल प्रवाह ठहरेगा नहीं.
- ऐसे पुल और बांध से मछली उत्पादन को नयी रफ्तार मिलेगी.

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इन तमाम योजनाओं पर सचिव रिसर्च करेंगे और नई संभावनाएं तलाशेंगे. इसके लिए उन्हें 30 दिनों की मोहलत दी गई है.

जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘ये तो शुरुआत है. हमने सचिवों से सुझाव और प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी है. उस पर जल्दी ही अमल होगा. गंगा परियोजना पर मिलने वाली सफलता को बाकी नदियों पर भी अमल किया जाएगा. हालांकि उमा भारती ने कहा कि गंगा परियोजना की कामयाबी के बाद बाकी नदियों का भी नंबर आएगा लेकिन उसके लिए आंख मूंद कर वही उपाय नहीं किये जाएंगे जो गंगा के लिए बनाये गये हैं.

इस दौरान उमा भारती ने कहा, ‘बाकी नदियों पर अमल के लिए हमें यमुना या दक्षिण और पश्चिम की नदियों के साइट, सीजन और रेनफॉल जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा. क्योंकि हर नदी के लिए ये तीन मानक अलग अलग होते हैं. पहले कांग्रेस फिर यूपीए सरकारों ने पिछले तीस सालों में अरबों रुपये गंगा सफाई के नाम पर बहा दिये लेकिन नतीजा रहा वही ढाक के तीन पात. गंगा की दशा नहीं सुधरी. यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी बनाई. ये अलग बात है कि तीन साल में सिर्फ एक-दो बैठकें ही हुईं जिनमें कोई नतीजा नहीं निकला. कोई काम शुरू नहीं हुआ. अब इन नए भगीरथों ने देवनदी के उद्धार की ठानी है.’

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