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गैंगरेप डॉक्युमेंट्री: कोर्ट ने दोषी के वकील से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर के दिल्ली गैंगरेप कांड पर बनी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री में महिलाओं पर कथित अपमानजनक टिप्पणियां करने वाले वकीलों में से एक को जवाब के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर के दिल्ली गैंगरेप कांड पर बनी बीबीसी की डॉक्युमेंट्री में महिलाओं पर कथित अपमानजनक टिप्पणियां करने वाले वकीलों में से एक को जवाब के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. शीर्ष कोर्ट दोनों वकीलों के खिलाफ कार्रवाई के लिये महिला वकील संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की बेंच ने एक दोषी के वकील मनोहर लाल शर्मा को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. शर्मा ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने मौखिक रूप से पक्ष रखने की अनुमति मांगी.

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शर्मा ने संस्कृत के ‘श्लोक’ का हवाला देते हुये न्यायालय से कहा कि वह महिलाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें अपनी मां के समान ही मानते हैं. उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करके इसे सुलझाने के लिये तैयार हैं.

उन्होंने डॉक्युमेंट्री बनाने वालों को विवादास्पद बयान देने से भी इंकार कर दिया. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आप अपना जवाब दाखिल कीजिये.’ याचिका पर सुनवाई के दौरान जब शर्मा मौजूद नहीं थे तो वकीलों की संस्था के वकील और दूसरों ने कहा कि वह और एक अन्य वकील एपी सिंह न्यायालय के नोटिस से बचने का प्रयास कर रहे हैं.

मनोहर लाल शर्मा बाद में कोर्ट में पेश हुये और उन्होंने नोटिस स्वीकार किया. इसके बाद न्यायालय ने महिला संगठन से कहा कि दूसरे वकील पर भी दो सप्ताह के भीतर नोटिस तामील की जाएगी.

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इससे पहले, कोर्ट ने दोनों वकीलों को नोटिस जारी करते हुये कहा था कि इस मामले में विचार की आवश्यकता है. महिला वकीलों के संगठन ने अपनी याचिका पर इन दोनों अधिवक्ताओं के उच्चतम न्यायालय परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगाने का अनुरोध करते हुये कहा है कि बीबीसी की विवादास्पद डॉक्युमेंट्री में उनकी कथित टिप्पणियां ‘अमानवीय, अनुचित, दुराग्रहपूर्ण और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ हैं.’ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने महिला वकीलों के संगठन की याचिका का समर्थन किया है.

इस संगठन ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत में वकालत करने वाली महिलाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की गुहार लगायी है ताकि वे बगैर किसी पक्षपात और दुराग्रह के गरिमा के साथ काम कर सकें.

इन वकीलों ने 16 दिसंबर, 2013 के सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार युवती पर बने बीबीसी की डॉक्युमेंट्री ‘इंडियाज डाटर’ में ये टिप्पणियां की थीं.

(इनपुट: भाषा)

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