
मालेगांव ब्लास्ट केस में बेल पर जेल से बाहर आए कर्नल श्रीकांत पुरोहित गुरुवार को मुंबई के कोलाबा मिलिट्री स्टेशन पहुंचे. पुरोहित ने मिलिट्री से 15 दिनों की छुट्टी ली है. हालांकि गणेश पूजा के मौके पर घर जाने की उनकी कोई योजना नहीं है. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी अब नियति के हाथों में है. अगर मेरा प्रमोशन होता है तो स्वीकार करूंगा.
उन्होंने कहा कि मैं पुणे नहीं जा रहा, बल्कि परिवार जा रहा है. कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के लिए मुंबई में रहूंगा. बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट केस में अगली सुनवाई 28 तारीख को होगी.
कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित ने कहा कि पिछले कुछ घंटों से हमारी भावनाएं उफान पर हैं. हम भावुक होकर बात कर रहे हैं. जब हम पहली बार मिले उन्होंने हमें गले लगाया. बच्चों को देखकर वे काफी खुश हैं. इसे खत्म होने में समय लगेगा. हमें खुशी होगी अगर हमारे बच्चे आर्मी ज्वॉइन करते हैं. यह एक विश्वास का मसला है, लेकिन फैसला उन्हें लेना है.
'गणपति पर कोई खास प्लान नहीं'
अपर्णा ने कहा कि इस बार का गणपति भी पिछले सालों की तरह ही है, हमने कुछ खास प्लान नहीं किया है. आर्मी हमें नियमों के तहत सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. कोई खास इंतजाम नहीं है. अब तक मुझे अकेले कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. अब हम दोनों मिलकर इस केस को लड़ेंगे. केस अभी चल रहा है और कर्नल पुरोहित को सुनवाई के लिए हर दिन कोर्ट जाना होगा.
कर्नल की पत्नी ने कहा कि केस चलता रहेगा और वकील तय करेंगे कि आगे इसकी दिशा क्या होगी.
मुंबई में मीडिया से बात करते हुए खुश नजर आ रही अपर्णा ने कहा कि केस में हर दिन सुनवाई जारी रहेगी और सब कुछ नियमों के तहत हो रहा है. हमारे लिए यह बहुत भावनात्मक क्षण था, जब पूरा परिवार एक साथ मिला. हमने बहुत सारा समय बात करते हुए गुजार दिए. छोटा बेटा उन्हें गला लगाकर रो पड़ा.
नौ साल बाद जेल से रिहा हुए पुरोहित
मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट के सिलसिले में नौ साल से जेल में बंद लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के दो दिन बाद बुधवार को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा हुए. इसके बाद उन्होंने सेना की अपनी इकाई में वापस रिपोर्ट किया.
पुरोहित बुधवार की सुबह करीब पौने ग्यारह बजे जेल से बाहर निकले. सैन्य पुलिस और सेना के त्वरित प्रतिक्रिया बल (क्यूआरटी) की एक टीम उन्हें एक कार में दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित एक सैन्य केन्द्र तक ले गयी. सूत्रों ने कहा कि उन्हें संभावित खतरे को देखते हुए सुरक्षा प्रदान की गई है.
यूनिट के अंदर आवाजाही पर होंगी पाबंदियां
दिल्ली स्थित सैन्य मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद निलंबित किये गये पुरोहित ने सेना की मुंबई स्थित दक्षिणी कमान की लाइजनिंग यूनिट को रिपोर्ट किया. वह फिलहाल शहर के एक सैन्य प्रतिष्ठान में ठहरे हैं. यूनिट के अंदर उनकी आवाजाही समेत उन पर अनेक पाबंदियां होंगी.
सूत्रों ने कहा कि सेना मुख्यालय शीर्ष अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद सेवा से उनके निलंबन की समीक्षा करेगा. सूत्रों ने कहा कि पुरोहित पुणे में अपनी यूनिट में जा सकते हैं जहां वह 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तारी से पहले काम कर रहे थे. हालांकि पुरोहित ने मुंबई की एनआईए अदालत में विस्फोट से जुड़े मामले में सुनवाई में शिरकत नहीं की. उनके वकील ने गुरुवार के लिए छूट देने की अर्जी दाखिल की थी.
पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवदे ने कहा, हमने अदालत में छूट देने का आवेदन दाखिल करते हुए कहा कि सेना में कुछ औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं, इसलिए वह बुधवार को सुनवाई में शामिल नहीं हो सकेंगे. विशेष एनआईए अभियोजक अविनाश रसल ने कहा कि अदालत ने केवल बुधवार के लिए छूट की अर्जी को मंजूर किया है.
नौ साल से जेल में बंद थे कर्नल पुरोहित
मालेगांव में 2008 में हुए बम विस्फोट के सिलसिले में पुरोहित करीब नौ साल से जेल में बंद थे. उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में सोमवार, 21 अगस्त को उन्हें जमानत दी थी. न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को निरस्त कर दिया था.
उच्च न्यायालय ने पुरोहित को जमानत देने से इंकार कर दिया था. साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए बम विस्फोट में छह लोग मारे गये थे. मालेगांव उत्तर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है. पुरोहित को मंगलवार को विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया गया जो मालेगांव विस्फोट कांड में आरोप तय करने के मामले में आरोपी का पक्ष सुन रही है.
'मेरे शरीर की सबसे बाहरी परत है वर्दी'
बुधवार को पुरोहित की रिहाई से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उन्हें जेल से छोड़ दिया गया. अदालत के बाहर पुरोहित ने कहा था कि वह जितनी जल्दी संभव हो, सेना में वापस जाना चाहते हैं. पुरोहित ने कहा, मैं अपनी वर्दी पहनना चाहता हूं. यह मेरे शरीर की सबसे बाहरी परत है. यह मुझसे जुड़ी हुई है.
उन्होंने कहा था, मेरे दो परिवार हैं... सेना और मेरा परिवार जिसमें मेरी पत्नी, मेरे दो पुत्र, बहन और मां हैं. मैं उनके पास लौटने का इंतजार नहीं कर सकता. पुरोहित ने कहा, सेना ने मुझे निराश नहीं किया.