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गणपतिपुले कोंकण तट का एक अत्यंत ही सुंदर बीच है. यह बीच प्रेमियों के साथ ही शांत वातावरण के चाहने वालों और तीर्थयात्रियों का भी पसंदीदा बीच है. यहां स्थित स्वयंभू गणेश के मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां स्थित गणेश भगवान को पश्चिम द्वारदेवता के रूप में भी जाना जाता है. गणपतिपुले पहुंचने वाले सभी खुद ब खुद इस महान देवता के आगे अपना शीश नवाने पहुंच जाते हैं.
सुंदर बीच और स्वच्छ पानी के अलावा गणपतिपुले वनस्पति के मामले में भी काफी समृद्ध है. यहां मैनग्रोव और नारियल के पेड़ों की भरमार है. निश्चय ही यहां आकर आप भागदौड़ के जीवन से छुटकारा पा सकते हैं.
गणपतिपुले के आसपास क्या देखें
मलगुंड
गणपतिपुले से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मलगुंड छोटा सा गांव है जो प्रसिद्ध मराठी कवि केशवासूत का जन्मस्थल है. यहां आकर आप इस महान कवि के घर जा सकते हैं जिसे आज छात्रावास में तब्दील कर दिया गया है. मराठी साहित्य परिषद द्वारा बनाये गए कवि केशवासूत का स्मारक भी आप देख सकते हैं.
वेलनेश्वर
अगर आप शांत वातावरण, नारियल के पेड़ों से पटे समुद्र तट की तलाश में हैं तो चले जाएं शास्त्री नदी के उत्तर में बसे खूबसूरत वेलनेश्वर गांव. यहां के पुराने शिव मंदिर पर प्रत्येक महाशिवरात्रि को श्रद्धालुओं की भीड़ इक्टठा होती है.
रत्नागिरी
गणपतिपुले से 25 किलोमीटर दूर स्थित है प्रसिद्ध रत्नागिरी. अरब सागर के तट पर बसा यह शहर बाल गंगाधर तिलक की जन्मभूमि है. रत्नागिरी का नाम का वर्णन पौराणिक कथाओं में भी है. ये वही जगह है जहां पांडवों ने अपना वनवास काटा था. यहां आकर आप रत्नागिरी दुर्ग, थिबाउ महल और बाल गंगाधर तिलक का मकान (इसे अब स्मारक बना दिया गया है) जरूर देखें. इसके अलावा आप वीर सावरकर द्वारा निर्मित पतित पावन मंदिर भी देख सकते हैं.
जयगढ़ का किला
गणपतिपुले से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है जयगढ़ किला. यह संघमेश्वर नदी द्वार पर सीधी चट्टान पर बना हुआ है. 17वीं शताब्दी में बने इस किले से विहंगम समुद्र और कोंकण के ग्रामीण जीवन की पूरी तस्वीर भी दिखती है.
पावस
अगर आप दौड़ती-भागती जिंदगी से थोड़ा फुर्सत निकालकर सुकून की तलाश में हैं तो प्राकृतिक सुंदरता, शांत और निर्मल वातावरण के परिपूर्ण पावस जरूर जाएं. यहां महाराष्ट्र के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी स्वरूपानंद का आश्रम भी है.
मार्लेश्वर
यहां एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और जलप्रपात है. गणपतिपुले से मार्लेश्वर की दूरी महज 60 किलोमीटर है.
दरवान
गणपतिपुले से 85 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह छत्रपति महाराज शिवाजी पर प्रदर्शनी और शिव सृष्टि के लिए प्रसिद्ध है.
परशुराम
गणपतिपुले से 112 किलोमीटर दूर स्थित है परशुराम. यहां स्थित परशुराम मंदिर जरूर देखें.
कैसा है यहां का मौसम
गणपतिपुले मुंबई से करीब 375 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां कमोबेश आर्द्र मौसम रहता है. मार्च के महीने से यहां का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है लेकिन यह 38 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं जाता है. मई का महीना सबसे गर्म होता है. यहां बारिश अच्छी और लगातार होती है और मानसून का समय जून से अक्टूबर तक होता है. जाड़े का मौसम यहां सबसे सुहावना होता है जब रात के वक्त तापमान में गिरावट देखने को मिलता है. लेकिन इस दौरान यहां ठंड इतनी नहीं पड़ती कि काफी गर्म कपड़े साथ ले जाने की जरूरत पड़े. हां यहां जाते वक्त आप स्वीमसूट साथ ले जाना ना भूलें.
प्रसिद्ध त्योहार
यहां मनाये जाने वाले त्योहारों में सबसे प्रमुख है भगवान गणेश का जन्मोत्सव माघ चतुर्थी और गौरी गणपति. इसके अलावा यहां होली, गुड़ी पर्व और दीपावली खासतौर पर मनाई जाती है.
गणपतिपुले में जरूर खायें
जब आप गणपतिपुले जायें तो वहां के अंबापोलि, फांसपोलि, फिश करी, कोकम करी जरूर खाएं. अगर आप शाकाहारी हैं तो वहां आपको नारियल पर आधारित सब्जियां खाने को मिलेंगी. इसके साथ ही गणेश प्रिय मोदक भी आपको यहां बहुतायत में मिलेंगे. गर्मियों के मौसम में अगर आप यहां जाते हैं तो आपको विश्व प्रसिद्ध आम ‘हापुस’ खाने का मौका मिलेगा.
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग
गणपतिपुले अगर हवाई जहाज से जरिए जाना है तो यहां से नजदीकी एयरपोर्ट कोल्हापुर है.
रेल मार्ग
कोंकण मार्ग पर भोके (Bhoke) यहां से नजदीकी रेलवे स्टेशन है. हालांकि यहां से रत्नागिरी भी पास और सुगम है.
सड़क मार्ग
गणपतिपुले मुंबई, पुणे और कोल्हापुर से होकर जाया जा सकता है.
महत्वपूर्ण शहरों से दूरी
मुंबई से गणपतिपुले (मनमाड के रास्ते) 375 किलोमीटर की दूरी पर है.
पुणे से गणपतिपुले (सतारा के मार्ग से) 331 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
कोल्हापुर से गणपतिपुले की दूरी 144 किलोमीटर है.
कहां ठहरें
यहां आपको महाराष्ट्र टूरिज्म कॉरपोरेशन का रिसार्ट उपलब्ध है.