
नोटबंदी और जीएसटी के शुरुआती झटकों से अर्थव्यवस्था ने उभरना शुरू कर दिया है. गुरुवार को जारी हुए जीडीपी आंकड़े इस बात पर मुहर लगाते हैं. वित्त वर्ष 2017-18 के दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने सबसे अहम भूमिका निभाई है. हालांकि अभी जीडीपी की रफ्तार और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
7 फीसदी की दर से बढ़ी मैन्चुफैक्चरिंग
जुलाई-सितंबर की तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा. इस तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.2 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी पहुंच गई. जीडीपी के आंकड़ों को मजबूती देने में इस सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई है. इस तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मांग बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्र के साथ ही शहरी भागों में इस तिमाही के दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए मांग में उछाल देखने को मिला है.
अभी बेस्ट आना बाकी
जीडीपी आंकड़े सामने आने के बाद वित्त सचिव हंसमुख अधिया ने कहा कि जीडीपी की रफ्तार अभी और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वे जीएसटी के तहत आई टैक्स व्यवस्था के आधार पर किए गए हैं. अभी पूरा टैक्स कलेक्शन भी बाकी है. इसके चलते जीडीपी के आंकड़े अभी और बेहतर होने की उम्मीद है.
टीसीए अनत ने कहा, जीएसटी पर रहेगी नजर
देश के प्रमुख सांख्यिकीय अधिकारी टीसीए अनत ने भी इसी ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि जीडीपी की असली रफ्तार तब ही पता चलेगी, जब अप्रत्यक्ष कर का पूरा डाटा तैयार हो जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि जीडीपी फिलहाल लगाए गए अनुमान से भी ज्यादा हो सकती है. उन्होंने कहा कि हम आगे भी जीएसटी और देश की अर्थव्यवस्था पर इसकी वजह से पड़ने वाले असर का अध्ययन करते रहेंगे.
कृषि पर है ध्यान देने की जरूरत
जहां मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. वहीं, कृषि सेक्टर चिंता का विषय बना हुआ है. दूसरी तिमाही में कृषि सेक्टर 1.7 फीसदी की दर से बढ़ा है. यह पिछली 5 तिमाही में सबसे कम रफ्तार है. इसके लिए बेमौसम बारिश और भारी बारिश को जिम्मेदार ठहाराया जा रहा है. चिंता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि मौसम विभाग ने आगे भी मौसम के किसानों के हित में न रहने का अनुमान लगाया है.
निजी खपत घटी है
कृषि आज भी निजी खपत पर निर्भर है और यह लगातार घटता जा रहा है. सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है. जीडीपी में इसकी भागीदारी तिमाही दर तिमाही कम हुई है. इसके लिए ढांचागत बदलाव जरूरी हैं.