
पिछले दो महीने से भारत और पाकिस्तान के बीच पारस्परिक संबधों की मजबूत कड़ी बनी गीता के घर-परिवार का पता चलने के बाद सहरसा के एक गांव की रंगत बदल गई है. दरअसल, यह वही गीता है, जिसे अपनी बेटी हीरा होने का दावा कोसी क्षेत्र में बसे जनार्दन महतो ने किया था.
अब जब भारत सरकार ने गीता को पाकिस्तान से वापस भारत लाने की कवायद शुरू कर दी है और उसे बिहार के सहरसा की बेटी घोषित कर दिया है, तो गीता के घर में जश्न का माहौल है. गांव में हर कोई बहुत खुश है.
'बेटी को पाने के लिए सबकुछ गंवाया'
कोसी तटबंध के अंदर बसे कबीराधाप में हर कोई बहुत खुश है. हो भी क्यों नहीं? 11 साल पूर्व अपने मां-बाप से बिछुड़ी बेटी हीरा का पता चल गया है और उसे घर लाने की भी तैयारी की जा रही है. गीता के नाम से जानी जा रही हीरा के पिता जनार्दन महतो काफी उत्साहित है. वे कहते हैं, 'वर्षों बाद बेटी मिलने की खुशी है. मैं काफी गरीब हूं. बेटी को पाने के लिए अपना सबकुछ गंवा चुका हूं. फिर भी जैसा होगा, जहां बुलाया जाएगा, मैं जाऊंगा.'
टीवी रिपोर्ट से मिल रही जानकारी
हालांकि जनार्दन यह भी कहते हैं कि सरकार की ओर से अब तक उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है. लेकिन टेलीविजन और अखबारों के माध्यम से यह जानकारी मिल गई है कि सरकार ने गीता को लेकर उनके दावों को सही मान लिया है.
ग्रामीणों में भी खासा उत्साह का माहौल है. गांव के नजरुल कहते हैं कि दो महीने पूर्व जब टेलीविजन पर पाकिस्तान में फंसी गीता की कहानी चली, तो गांव के लोगों ने जनार्दन को इस बात की जानकारी दी. जनार्दन जब अपनी आंखों से पाकिस्तान में रह रही गीता की तस्वीर देखी, तो झट से उसे अपनी बेटी हीरा होने का दावा कर दिया. उसके बाद उसे वापस पाने के लिए विदेश मंत्रालय तक की दौड़ लगाई. वे कहते हैं कि जनार्दन को दिल्ली जब भी जाना होगा, पैसे मांगकर ही सही, वह जाएगा.
गांव के बिनोद जायसवाल और रंजीत भी कहते हैं कि रात में टेलीविजन पर गीता को सहरसा की बेटी बताए जाने के बाद पूरे गांव में जश्न का माहौल है. बहुत खुशी की बात है कि लम्बे अरसे के बाद गांव की खोई बच्ची सुरक्षित वापस आ रही है.