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आम आदमी की जिंदगी से जुड़े हैं ये 7 सेक्टर, पढ़िए बजट से क्या है इनकी मांग

आम बजट 2018 से आम लोगों के साथ ही कई सेक्टरों को भी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं कि इन सेक्टरों को आम बजट से क्या उम्मीदें हैं और ये किस तरह आम आदमी की जेब पर असर डालने वाला है.

अरुण जेटली अरुण जेटली
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को मौजूदा केंद्र सरकार का आखिरी बजट पेश करने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कह चुके हैं कि उनकी सरकार का आखिरी बजट लोकलुभावन नहीं होगा, पर इस बजट से आम लोगों के साथ ही कई सेक्टरों को भी उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं कि इन सेक्टरों को आम बजट से क्या उम्मीदें हैं और ये किस तरह आम आदमी की जेब पर असर डाल सकता है.

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1- एफएमसीजी सेक्टर

एफएमसीजी ऐसा सेक्टर है, जिसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ता है. इस सेक्टर की आम बजट 2018 से प्रमुख मांगों में अप्रत्यक्ष कर या जीएसटी को कम करना, इनकम टैक्स में छूट देना ताकि लोग और खर्च कर सकें, ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास करना, रोजगार मुहैया कराने पर सुविधाएं प्रदान करना, कॉर्पोरेट टैक्स कम करना आदि हैं. इन मांगों का असर जरूरी चीजों की कीमतों में कमी के तौर पर देखने को मिल सकता है.

2- एग्रीकल्चर सेक्टर

एग्रीकल्चर सेक्टर यानी कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी अहम है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा भी है कि इस बार उनकी प्राथमिकता कृषि क्षेत्र है और अर्थव्यवस्था के विकास के नतीजे इस क्षेत्र में दिखने चाहिए. इस क्षेत्र यानी किसानों की प्रमुख मांगों में साहूकारों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज पर रोक लगाना, किसानों को कम दरों पर आसानी से सरकारी कर्ज उपलब्ध कराना, कीटनाशकों और बीजों पर जीएसटी की दरें कम करना और नकली दवाओं पर रोक लगाना आदि हैं. इससे किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलने के साथ ही इस क्षेत्र का जीडीपी में योगदान बढ़ सकता है और आयात पर निर्भरता कम होने से आम लोगों के लिए भी कृषि उत्पाद सस्ते हो सकते हैं.

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3- फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर

इस सेक्टर की मांगों में रिसर्च और इनोवेशन के लिए जीडीपी का दो से तीन फीसदी खर्च करना, टैक्स क्रेडिट को दो से तीन साल के लिए बढ़ाना, मेडिकल यंत्रों पर जीएसटी की दर घटाना, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए विशेष प्रावधान करना आदि हैं. इस सेक्टर की मांगों को मानने से लोगों को आसानी से और सस्ता इलाज मिल सकता है.

4- रियल एस्टेट सेक्टर

रेरा और नोटबंदी जैसे नीतिगत फैसलों के बाद यह सेक्टर मंदी से जूझ रहा है. इस सेक्टर की प्रमुख मांगों में सिंगल विंडो क्लियरेंस मिलना, सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देना, पहली बार घर खरीदने पर इनकम टैक्स में छूट देना ताकि खरीदार प्रोत्साहित हों, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में जीएसटी दरों में कमी आदि हैं. इससे असंगठित और संगठित क्षेत्र में काफी रोजगार मुहैया कराने वाले इस सेक्टर में जान पड़ने के साथ ही लोगों के लिए घर खरीदना भी सस्ता और आसान हो सकता है.

5- पेट्रोलियम सेक्टर

पेट्रोलियम सेक्टर इस समय भारत में आम लोगों की जिंदगी को काफी हद तक प्रभावित कर रहा है. इस सेक्टर की प्रमुख मांगों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने, एक्साइज ड्यूटी घटाने, पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के अधीन लाने, प्राकृतिक गैस को जीएसटी में लाने, घरेलू कच्चे तेल पर 2 फीसदी सेंट्रल सेल्स टैक्स घटाकर इसमें और आयातित तेल की कीमतों में समानता लाना आदि हैं. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने भी पेट्रो पदार्थों को जीएसटी के अधीन लाने की मांग की है. इन मांगों के असर के रूप में पेट्रोल और डीजल सस्ता हो सकता है.

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6- ऑटोमोबाइल सेक्टर

ऑटोमोबाइल सेक्टर की मांगों में ग्रामीण इलाकों में गाड़ियों पर ब्याज की दरें कम करने, इस सेक्टर में रोजगार बढ़ाने के लिए निवेश बढ़ाने, कारों पर जीएसटी की दरें कम करने, इलेक्ट्रिक कारों पर जीएसटी की दर घटाकर पांच फीसदी करना आदि हैं. इन मांगों का असर इस सेक्टर का विस्तार होने के साथ ही इलेक्ट्रिक कारें सस्ती होने के तौर पर देखा जा सकता है. इससे केंद्र सरकार की ई-वाहन की मुहिम को बल मिलने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिल सकता है.

7- हॉस्पिटैलिटी सेक्टर

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर या होटल इंडस्ट्री की भी 2018 के आम बजट से कई उम्मीदें हैं. इनमें जीएसटी स्लैब में राहत देने, कॉर्पोरेट टैक्स की दरें 25 फीसदी तक घटाने, आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के फायदे देने जैसी मांगें हैं. अगर इस सेक्टर की ये मांगें पूरी होती हैं तो इससे लोगों का घर से बाहर ठहरना और खाना सस्ता हो सकता है. 

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