
चेहरे पर एक इत्मीनान, मधुर भाषी लेकिन उतने ही सख्त. अपनी बात को कोर्ट के अंदर और बाहर भी उतनी ही बेबाकी से कहने वाले मुख्य न्यायधीश... ये पहचान है जस्टिस टी एस ठाकुर की जिनका कार्यकाल 3 जनवरी 2017 को खत्म हुआ. जस्टिस ठाकुर सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए हैं. अपने कार्यकाल के दौरान दिए कई बेहद अहम फैसलों के लिए जस्टिस
ठाकुर याद किये जाएंगे. वकीलों के काफी चहेते रहे जस्टिस ठाकुर को वकील डार्लिंग जज भी कहते हैं. शेरो-शायरी के काफी शौकीन जस्टिस ठाकुर अक्सर कोर्ट रूम में सुनवाई के
दौरान भी अपनी बात इसी अंदाज़ में कही. ऐसा कम ही होता था की जस्टिस ठाकुर की कोर्ट में माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया हो. अक्सर हलके-फुल्के मुहावरे के ज़रिये वो कटाक्ष भी कर
देते थे.
महत्वपूर्ण दौर में बने थे चीफ जस्टिस
दिसंबर 2015 में जस्टिस ठाकुर देश के मुख्य न्यायधीश बने. ये वो समय था जब देश में रिलीजियस ईंटॉलेरेंस पर बहस चल रही थी. फिजा में एक तनाव सा था. सुप्रीम कोर्ट के सभी पत्रकारों से जस्टिस ठाकुर ने मुलाक़ात की और कहा की जब तक इस देश में कानून का शासन है... सुप्रीम कोर्ट है...तब तक किसी को डरने या घबराने की ज़रुरत नहीं है. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ऑड-इवन शुरू कर रही थी और जस्टिस ठाकुर ने इसका समर्थन किया जिसकी वजह से दिल्ली सरकार की हिम्मत बढ़ी. खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इसके लिए मुख्य न्यायधीश को शुक्रिया कहा.
अपने कार्यकाल के दौरान कोर्ट के अन्दर और बाहर जस्टिस ठाकुर के बयानों से केंद्र सरकार बराबर असहज महसूस करती रही. जजों की नियुक्ति के मामले पर जस्टिस ठाकुर ने कई बार सरकार पर सख्त टिप्पणियां की. विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस ठाकुर प्रधानमन्त्री की मौजूदगी में भावुक हो गए. उनकी आंखों से आंसू तक निकल आए. ये जस्टिस ठाकुर का वो रूप था जो अब तक किसी ने नहीं देखा था. उसके बाद से कई बार जस्टिस ठाकुर ने जजों की नियुक्ति के मामले पर सरकार को घेरा. सरकार की आंखों में जस्टिस ठाकुर हमेशा किरकिरी बने रहे.
प्रदूषण पर दिखाई सख्ती
प्रदूषण नियंत्रण के मामले में जस्टिस ठाकुर अपने अहम फैसलों के लिए हमेशा जाने जाएंगे. भारी वाहनों की दिल्ली में एंट्री पर प्रदूषण कर, 2000 सीसी से ज्यादा की डीजल गाड़ियों के
पंजीकरण पर प्रतिबन्ध, पटाखों के उत्पादन, स्टोरेज और बिक्री पर रोक जैसे कई अहम फैसले जस्टिस ठाकुर ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए किये। प्रदूषण नियंत्रण के लिए
एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मुहर लगा दी है जो दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए समय-समय पर उचित क़दम उठाएगी.
क्रिकेट पर कई अहम फैसले
जस्टिस ठाकुर सबसे ज्यादा अगर किसी मामले और उसमे दिए कई फैसलों के लिए जाने जायेंगे तो वो है क्रिकेट में सुधार। बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया यानी बीसीसीआई में
सुधार के लिए जस्टिस ठाकुर ने लगातार कई अहम फैसले किये.आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को हटना पड़ा. बीसीसीआई में फैली गन्दगी को
दूर करने के लिए जस्टिस आर एम लोढ़ा समिति का गठन किया और उसकी सिफारिशों को मानने के लिए बीसीसीआई को निर्देश दिए. अपने कार्यकाल के ख़त्म होने के एक दिन पहले
ही बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटने का निर्देश भी जस्टिस ठाकुर ने दे दिया. बीसीसीआई में प्रशासक की नियुक्ति के लिए 2 वरिष्ठ वकीलों का
पैनल भी जस्टिस ठाकुर ने बना दिया.
जाते-जाते किया महत्वपूर्ण फैसला
रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संवैधानिक खंडपीठ ने चुनाव में धर्म, जाति, भाषा और समुदाय के नाम पर वोट मांगने को लेकर एक
बेहद अहम फैसला दिया. जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) की पुनः व्याख्या की और फैसला सुनाया की उम्मीदवार,उसके विरोधी उम्मीदवार और मतदाता के भी धर्म, जाति,भाषा
और समुदाय का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा होगा तो ये करप्ट प्रैक्टिस के दायरे में आएगा.
इससे पहले जस्टिस ठाकुर ने एक अहम फैसला दिया था की राष्ट्रीय और राज्य हाईवे के किनारे शराब की बिक्री नहीं होगी ताकि शराब के नशे की वजह से होने वाले सड़क हादसे कम हो सकें. गंगा सफाई को लेकर जस्टिस ठाकुर ने कई अहम आदेश दिए और कड़ी टिप्पणियां कीं. जस्टिस ठाकुर ने एक बार इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा की जिस तरह से सरकार गंगा सफाई का काम कर रही है उस तरह तो इसकी सफाई में 200 साल लग जायेंगे.
निवेशकों के हित में फैसले
निवेशकों का पैसा ना लौटाने के सेबी-सहारा मामले में जस्टिस ठाकुर ने समय-समय पर अहम फैसले दिए. सुब्रत रॉय सहारा कई महीनों से जेल में थे और मां की मौत के बाद जस्टिस
ठाकुर के फैसले की वजह से जेल से बाहर आ सके. इसके बाद से काफी रक़म सहारा सेबी को अदा कर चुका है, लेकिन कुछ ऐसे अहम मामले भी हैं जिनकी सुनवाई जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने की और जिनमे सुनवाई उनके रिटायरमेंट के बाद भी चलती रहेगी. सिखों के खिलाफ चुटकुले और नोटबंदी पर आई कई याचिकाओं पर सुनवाई चलती रहेगी. नोटबंदी मामले पर जस्टिस ठाकुर से कुछ अहम निर्देशों की काफी उम्मीदें थीं, लेकिन उन्होंने इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं किया। हां, 9 सवाल ज़रूर तय कर दिए जिन पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी.
सरकार से भी रही तना-तनी
कुल मिला कर जस्टिस ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले किये और सुप्रीम कोर्ट में वर्किंग ऑउर्स बढ़े. जस्टिस ठाकुर का कार्यकाल इस बात के लिए भी जाना जाएगा की पहली बार जजों की नियुक्ति के लिए होने वाली कोलेजियम मीटिंग में एक जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने हिस्सा नहीं लिया और कहा की कोलेजियम में पारदर्शिता की कमी है. पारदर्शिता के मुद्दे पर सरकार ने भी कोलेजियम सिस्टम की कई बार आलोचना की और इसकी वजह से न्यायपालिका और सरकार के बीच तना- तनी चलती रही. आजतक से बात-चीत में जस्टिस ठाकुर ने कहा की वो किसी तरह का कोई भारीपन नहीं ले कर जा रहे. जो वो सोचते हैं वो उन्होंने कहा कोर्ट के अंदर और बाहर भी और उन्हें किसी तरह
का कोई मलाल नहीं है. अपने कार्यकाल के दौरान मीडिया की तरफ से मिले सहयोग के लिए उन्होंने शुक्रिया कहा.