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उत्तराखंड विधानसभा के एंग्लो इंडियन सदस्य बने जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन

उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत वाली बीजेपी सरकार ने देहरादून के जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन को एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर विधानसभा सदस्य मनोनीत किया है.

जार्ज आईवान चुने गए एंग्लो इंडियन सदस्य (फोटो क्रेडिट- अमर उजाला) जार्ज आईवान चुने गए एंग्लो इंडियन सदस्य (फोटो क्रेडिट- अमर उजाला)
राहुल सिंह
  • देहरादून,
  • 30 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत वाली बीजेपी सरकार ने देहरादून के जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन को एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर विधानसभा सदस्य मनोनीत किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को अपर सचिव विधायी भारतभूषण पांडेय ने अधिसूचना जारी कर जार्ज आईवान को सदस्य बनाए जाने की पुष्टि की. जार्ज आईवान डालनवाला क्षेत्र में रहते हैं और वह कारमैन स्कूल के प्राचार्य हैं. जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन देहरादून में ही पले-बढ़े हैं.

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दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने बी.ए. किया. जिसके बाद डीएवी पीजी कॉलेज से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद वह अध्यापन कार्य से जुड़ गए. जार्ज आईवान ने मनोनयन के बाद बीजेपी कार्यालय पहुंच प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के प्रति आभार जताया. प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने इस दौरान कहा, वह उम्मीद करते हैं कि जार्ज आईवान एंग्लो इंडियन समुदाय के हितों के लिए काम करेंगे.

गौरतलब है कि देश के कई राज्यों में एंग्लो इंडियन के मनोनयन की परंपरा नहीं है. सूबे में बीजेपी सरकार के आते ही यह सवाल सभी के जेहन में था कि क्या रावत सरकार विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य का मनोनयन करेगी. बताते चलें कि राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के समय से एंग्लो इंडियन सदस्य को प्रतिनिधित्व देने की रीत चली आ रही है.

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दरअसल संविधान में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि को भी निर्वाचित सदस्यों की तरह सदन में वोट देने का अधिकार है. क्या बीजेपी और क्या कांग्रेस, समय-समय पर राजनैतिक दल एंग्लो इंडियन सदस्य के सहारे सत्ता में काबिज रहने के लिए इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करते आए हैं.

इस बार बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य के मनोनयन को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. जानकारों का मानना था कि बीजेपी बहुमत के मामले में सर्वाधिक सहज स्थिति में है, लिहाजा इस बार वह एंग्लो इंडियन सदस्य के मनोनयन से परहेज करेगी.

वहीं जानकार राज्य में वित्तीय संकट को भी एंग्लो इंडियन सदस्य के मनोनयन से जोड़कर देख रहे थे. उनका मानना था, हो सकता है कि वित्तीय संकट का हवाला देते हुए राज्य सरकार इस बार किसी को भी एंग्लो इंडियन सदस्य मनोनीत न करे. फिलहाल जार्ज आईवान को एंग्लो इंडियन सदस्य मनोनीत किए जाने के बाद इस तरह के सभी कयासों पर पूर्ण विराम लग चुका है.

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