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US से खफा जर्मनी अब भारत के करीब, रंग लाएगी मोदी की 'मेक इन इंडिया' डिप्लोमेसी

वर्तमान में भारत के पास जर्मन निवेशकों को आकर्षित करने का बेहतरीन मौका है. इसकी वजह यह है कि अमेरिका से दूर होने के बाद जर्मनी को भारत जैसे भागीदारों की जरूरत है.

जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल और पीएम मोदी जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल और पीएम मोदी
राम कृष्ण
  • बर्लिन/नई दिल्ली,
  • 30 मई 2017,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीति और जलवायु परिवर्तन पर रुख से खफा जर्मनी ने अब भारत के करीब आने का मन बना लिया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जर्मनी यात्रा कारोबारी रिश्तों को बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन को लेकर बेहद अहम मानी जा रही है. मोदी से अनौपचारिक मुलाकात के बाद जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल अब एशिया को लेकर अपने विजन को पेश कर सकती हैं. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद से यूरोपीय देशों के साथ तनाव बढ़ा है, जिसका फायदा भारत समेत पूरे एशिया को मिल सकता है.

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वर्तमान में भारत के पास जर्मन निवेशकों को आकर्षित करने का बेहतरीन मौका है. इसकी वजह यह है कि अमेरिका से दूर होने के बाद जर्मनी को भारत जैसे भागीदारों की जरूरत है. ऐसे में मोदी के पास अपनी मेक इन इंडिया डिप्लोमेसी को साकार करने का शानदार अवसर है. दिलचस्प बात यह है कि पीएम मोदी अमेरिका के खिलाफ बने वैश्विक माहौल का फायदा उठाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. हालांकि जर्मन चांसलर भारत के साथ ही चीन के भी करीब आने की जुगत में हैं. पीएम मोदी की मेजबानी से पहले मर्केल ने चीनी प्रधानमंत्री ली केचियांग से मुलाकात की थी. बुधवार को चीनी पीएम जर्मनी पहुंचे थे.

इसे भी पढ़िएः जर्मनी में बोले मोदी- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करे यूरोप‌

लुक ईस्ट की रणनीति अपनाएगा जर्मनी
जर्मन चांसलर अपने पुराने दोस्त अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरह व्यापार और सहयोग के मुद्दे पर लुक ईस्ट की रणनीति अपनाने जा रही हैं. मर्केल की ओर से पीएम मोदी को आमंत्रित किया जाना भी उनकी इस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. हालांकि जर्मनी का यह रुख भारत के भी हित में है. मर्केल साफ कह चुकी हैं कि जर्मनी समेत पूरा यूरोप अमेरिका पर निर्भर नहीं रहेगा, जो उनके भारत के करीब आने के मूड को दर्शाता है.

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G-20 पर जर्मन एजेंडे का समर्थन करेगा भारत
जर्मनी जुलाई में G-20 समिट की मेजबानी करने जा रहा है. भारत और चीन दोनों ही G-20 के सदस्य देश हैं. ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि वह जर्मनी को हर हाल में अपने पाले में लाए. जर्मन अखबार 'हैंडेल्सब्लाट को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने G-20 पर जर्मनी के एजेंडे को पूरा समर्थन देने की बात कही है. हालांकि अगर इतिहास पर निगाह दौड़ाएं, तो निश्चित रूप से चीन के साथ जर्मनी के रिश्ते जटिलताओं से भरे रहे हैं. जहां तक भारत-जर्मनी के संबंधों की बात है, तो हकीकत यही है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते इतने सहज नहीं रहे हैं.

मोदी की जर्मन उद्यमियों को लुभाने की पुरजोर कोशिश
पीएम मोदी भारत में निवेश के लिए जर्मन उद्यमियों को लुभाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. जर्मनी दौरे पर गए पीएम मोदी ने जर्मन उद्यमियों को भारत में आने और 'मेक इन इंडिया', 'स्किल इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया', 'क्लीन इंडिया' और स्मार्ट सिटी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है. वह जर्मन कंपनियों को आकर्षित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. उन्होंने जर्मन निवेशकों के लिए भारत में निवेश और कारोबार को आसान बनाने की भी बात कही है.

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