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सौदे में राफेल की संख्या कम कर मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से किया समझौता: गुलाम नबी आजाद

आजाद ने कहा, 'यूपीए सरकार में 126 राफेल जेट विमानों के लिए निविदाएं दी गई थीं, लेकिन यह सौदा रद्द कर दिया गया. अब हम क्या खरीद रहे हैं? केवल 36. ऐसे में 90 राफेल जेट विमानों की भरपाई कौन करने वाला है? तो ये क्यों न समझा जाए कि मौजूदा सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है?'

गुलाम नबी आजाद गुलाम नबी आजाद
अजीत तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर रुख अपनाने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता मुखर होकर राफेल के सहारे भारतीय जनता पार्टी पर हल्ला बोल रहे हैं.

पहले राहुल गांधी ने राफेल डील को मोदी की 'पर्सनल डील' बताया था. अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मोदी सरकार पर राफेल सौदे को लेकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 126 राफेल विमान के सौदे की बात की थी, लेकिन मोदी सरकार ने संख्या घटाकर 36 कर दी.

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आजाद ने कहा, 'यूपीए सरकार में 126 राफेल जेट विमानों के लिए निविदाएं दी गई थीं, लेकिन यह सौदा रद्द कर दिया गया. अब हम क्या खरीद रहे हैं? केवल 36. ऐसे में 90 राफेल जेट विमानों की भरपाई कौन करने वाला है? तो ये क्यों न समझा जाए कि मौजूदा सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है?'

राफेल सौदे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर ऐसे समय में सुर्खियों में है जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों शुक्रवार से चार दिनों की भारत यात्रा पर आ रहे हैं. बता दें कि मैक्रों की यह पहली भारत यात्रा है. भारत आने से इंडिया टुडे से बातचीत की और पीएम मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि राफेल डील मेरे कार्यकाल में नहीं हुई थी, लेकिन मैं ये कहना चाहूंगा कि ये डील हम दोनों के लिए ही फायदेमंद रही है.

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उन्होंने कहा कि राफेल के कई कलपुर्जे अब भारत में ही बनेंगे. ऐसे में ये यहां की इंडस्ट्री और यहां के कामगारों के लिए बेहतर है. जहां तक सुरक्षा की बात है तो ये अपनी श्रेणी में बेहद उन्नत है. मौजूदा वक्त में इसका कोई मुकाबला नहीं है. फ्रांस के लिहाज से देखें तो ये सौदा हमारे लिए इसलिए खास है क्योंकि भारत में संभावनाएं बहुत हैं. यह हमारे साझा समझौतों का एक हिस्सा है.

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों राफेल सौदे को कितना भी बेहतर बता लें, लेकिन देश में विपक्ष और खास तौर पर कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर कर रखना चाहती है. यही कारण है कि हाल के दिनों में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील को मोदी की 'पर्सनल डील' बताया था. कांग्रेस ने पत्र जारी कर कहा था कि मोदी जी पर्सनली पेरिस गए, खुद राफेल डील की और पर्सनली डील बदली.

यही नहीं, कांग्रेस ने पीएम मोदी से राफेल पर 10 सवालों की सूची जारी कर कहा था कि कांग्रेस देश भर में जनता के बीच जाकर राफेल डील का प्रचार प्रसार करेंगे...

1. क्या ऐसा गोपनीय है रक्षा मंत्री जी कि राफेल सौदे को छुपाया जा रहा है ?

2. क्या संसद देश की सुरक्षा के लिए खतरा है? CCS से क्या अनुमति ली गई इस सौदे के लिए?

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3. आरोप है कि एक प्लेन की कीमत 1555 करोड़ रुपये हैं, जबकि कांग्रेस 428 करोड़ में रुपये में खरीद रही थी ?

4. अमेरिका के सबसे आधुनिक युद्ध विमान की कीमत भी 1500 करोड़ रुपये नहीं है तो फिर ये विमान इतने महंगे क्यों खरीदे गए?

5. इस सौदे में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर क्यों नहीं हो रहा है?

6. कॉमेडी, रक्षा सौदे पर सवाल पूछना देशद्रोह है.आप तो आज भी बोफोर्स पर आरोप लगाते हैं और प्रश्न करते हैं?

7. सेना ने राफेल सौदे पर प्रेस कांफ्रेंस क्यों की ? क्या सेना CAG है?

8. विदेश से प्रधानमंत्री ने क्यों इस रक्षा सौदे की घोषणा की? आजतक आजाद भारत के किसी PM ने ये काम नही किया.

9. इस सौदे से सरकारी HAL को हटा कर अंबानी को क्यों डाला जा रहा है? 25000 करोड़ रुपये का घाटा है HAL को ?

10. जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC को क्यों नहीं सौप देते जांच.

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