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लड़का नहीं लड़कियां हैं गोद लेने वालों की पहली पसंद

महिला एवं बाल विकास के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में कुल 7,439 लड़कियों को गोद लिया गया है. वहीं इसी दौरान सिर्फ 5,167 लड़के गोद लिए गए हैं.

प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST

हाल ही में साल 2011 जनगणना के आधार पर जारी हुए आंकड़ों में भले ही देश का लिंगानुपात खराब रहा हो लेकिन जब बात बच्चों को गोद लेने की आती है तो लड़कों की तुलना में लड़कियों को ज्यादा गोद लिया जा रहा है.

7,439 लड़कियों को लिया गया गोद
महिला एवं बाल विकास के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में कुल 7,439 लड़कियों को गोद लिया गया है. वहीं इसी दौरान सिर्फ 5,167 लड़के गोद लिए गए हैं. इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को गोद लेने से संबंधित नए दिशा निर्देशों को लेकर गोद सुलभ कराने वाली एजेंसियों और दूसरे हितधारकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है.

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मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012-13 में देश भर में 2,846 लड़कियों और 1,848 लड़कों को गोद लिया गया. इसके बाद साल 2013-14 में 2,293 लड़कियों और 1,631 लड़के गोद लिए गए. वहीं 2014-15 में यह संख्या क्रमश: 2,300 और 1,688 थी.

शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को भी लिया जा रहा है गोद
केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के एक अधिकारी के अनुसार यह बहुत उत्साहवर्धक है कि बेटियों को गोद लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आ रहे हैं. मगर इसके साथ ही साल 2012-13, 2013-14, 2014-15 में शारीरिक रूप से अशक्त या विशेष जरूरतों वाले क्रमश: 170, 242 और 214 बच्चों को भी गोद लिया गया.

सरकार ने शुरू करी थी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 6 साल की उम्र तक प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियां हैं. सरकार ने लड़कियों के जन्म के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ’ जैसी पहलें शुरू की हैं. 100 करोड़ रुपये की राशि के साथ यह योजना अभी देश के 100 ऐसे जिलों में शुरू की गई है जहां लड़कियों की संख्या बेहद कम है.

 

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