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सोने से बेहतर है सोने में ये निवेश

सोना खरीदकर रखने से बेहतर है सरकारी गोल्ड बॉन्ड में निवेश क्योंकि इसमें दाम बढऩे के साथ सालाना ब्याज का भी फायदा मिलता है

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मंजीत ठाकुर
  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

उन लोगों में से क्या आप भी हैं जो त्योहारों, शादियों या कोई खास मौका न हो तो भी, प्रियजनों को उपहार के रूप में सोना देना ही पसंद करते हैं? या फिर ऐसे व्यक्ति हैं जिसे निवेश के लिए सोने की पट्टी (गोल्ड बार) और सिक्के खरीदना सबसे अच्छा लगता है?

यदि हां, तो आप सोने में निवेश के दौरान ज्यादा सूझबूझ का परिचय दे सकते हैं. साल 2015 से सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या सरकारी गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) शुरू किया जो न केवल भौतिक रूप से सोने के मूल्य के बराबर है बल्कि किसी भी अन्य फिक्स्ड इनकम बॉन्ड की तरह इस पर भी ब्याज मिलता है.

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एस्सेल वेल्थ सर्विसेज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बृजेश परनामी कहते हैं, ''सोना खरीदने से अच्छा है सरकारी गोल्ड बॉन्ड खरीदना. एसजीबी पर आपको सोने के मूल्य वृद्धि के रिटर्न के अलावा 2.5 प्रतिशत का ब्याज भी ऊपर से मिल जाता है.''

सोना चाहे वह आभूषण के रूप में हो या फिर सोने की पट्टी या सिक्के के रूप में, उसे संभालकर रखना जोखिम भरा है. एसजीबी के फायदे गिनाते हुए परनामी कहते हैं, ''एसजीबी के साथ संभालकर रखने जैसी बात नहीं है. इसमें न तो आभूषण बनाने का खर्च और न ही आभूषण गलाने का खर्च है और न ही किसी शुद्धता प्रमाणपत्र की जरूरत होती है.''

बेहतर जानकारी

परनामी उस सोने की बात कर रहे हैं, जो भौतिक रूप से सोना नहीं है बल्कि जैसे आप अपने डिमैट खाते में शेयर्स को रखते हैं उसी तरह डिमैट खाते में आप एसजीबी को रख सकते हैं. लॉकर्स में जहां बैंक आपका भौतिक सोना संभालकर रखने के बदले आपसे एक निश्चित रकम भी वसूलते हैं, उसके इतर एसजीबी में सोना कहीं भी सुरक्षित रखा जा सकता है. इन गोल्ड बॉन्ड के साथ सरकार की गारंटी जुड़ी है जिसका अर्थ है कि भुगतान में किसी प्रकार के हेर-फेर की कोई गुंजाइश ही नहीं.

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एसजीबी स्कीम में एक व्यक्ति कम से कम एक ग्राम और अधिकतम चार किलो तक सोना खरीद सकता है. एसजीबी सीधे बैंक से या अधिकृत डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज अथवा एजेंटों के माध्यम से खरीदा जा सकता है.

वर्तमान में सरकार ऑनलाइन खरीदारी पर 50 रुपए प्रतिग्राम की छूट दे रही है. लैडर7 फाइनेंशियल एडवाइजरीज के संस्थापक सुरेश सदगोपन कहते हैं, ''सरकार सालाना 2.5 फीसदी ब्याज दे रही है. आप सोना रखें तो आपको क्या मिलता है?'' ब्याज की रकम हर छमाही पर आपके बैंक खाते में जमा हो जाती है.

क्या कोई एसजीबी से बाहर निकल सकता है?

एसजीबी पर मिलने वाला ब्याज इसे बहुत आकर्षक बनाता है लेकिन आपातकालीन स्थिति में इससे पैसे निकाले जा सकते हैं?  हालांकि एसजीबी की अवधि आठ साल की होती है लेकिन कोई उन्हें शेयर या बॉन्ड की तरह बेच भी सकता है.

एसजीबी भारत के मुख्य शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध है और इनके जरिए आप एसजीबी को खरीद या बेच सकते हैं. सरकार इससे बाहर निकलने की एक सुविधा भी देती है. पांचवें, छठे या सातवें साल के पूरे होने पर आप सरकार को बॉन्ड वापस भी कर सकते हैं.

आठवां साल पूरा होने के बाद बॉन्ड को भुनाया जा सकता है और निवेशक को सोने के उस समय के बाजार भाव पर भुगतान किया जाता है. आपातकालीन स्थिति में एसजीबी पर त्वरित ऋण भी लिया जा सकता है. परनामी कहते हैं, ''सोने पर ऋण बड़ी आसानी से मिल जाता है.

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बैंक भी भौतिक रूप से सोना रखकर उधार देते हैं. सोने से जिस प्रकार उधार मिल जाता है वैसी ही सुविधा गोल्ड बॉन्ड पर भी दी गई है.''

सबसे खरा है सोना

आमतौर पर लोग सोना या तो गहने बनाने के लिए या फिर निवेश के लिए खरीदते हैं. अगर अचानक कोई जरूरत पड़ जाए तो उस समय पास में रखा सोना बड़ा काम आता है. अगर मकसद भविष्य के लिए निवेश करना है या फिर कुछ साल बाद बच्चों की शादी के लिए सोना जमा करना है तो ऐसे में एसजीबी बेहतर विकल्प है.

सदगोपन कहते हैं, ''कुछ लोग सोना खरीदते हैं कि आगे चलकर बेटे या बेटी की शादी में या फिर उपहार देने के काम आएगा. ऐसे निवेशकों के लिए एसजीबी सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.'' सदगोपन की बात को आगे बढ़ाते हुए परनामी बताते हैं, ''जो लोग निवेश के लिए सोना खरीदकर रखते हैं और बचत का निवेश सोने में करते हैं, उनके लिए एसजीबी मुफीद विकल्प है.''

शादी-ब्याह में सोने की खरीद ही सबसे बड़ा खर्च बन जाती है इसलिए थोड़ा-थोड़ा करके एसजीबी आपकी जरूरतों के लिए सहूलियत वाला और सुरक्षित जरिया है. इससे आपको निवेश के वर्षों में सोने की कीमत का औसत मूल्य तो प्राप्त होता ही है, साथ ही साथ कुछ ब्याज भी मिल जाता है.

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यह आठ साल की अवधि के बाद आपको निश्चित मात्रा में सोना और उस पर ब्याज सुनिश्चित करता है. परनामी कहते हैं, ''सरकार जब भी एसजीबी जारी करती है, कोई भी व्यक्ति उसमें निवेश कर सकता है.''

निवेश के रूप में सोना

क्या किसी को अपने सारे फिक्स्ड डिपॉजिट खत्म करके, सारे शेयर बेचकर एसजीबी खरीद लेना चाहिए? जानकार ऐसा करने से मना करते हैं. बकफास्ट फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज के को-प्रमोटर विजय मंत्री कहते हैं, ''किसी को सोना या सोने से जुड़े किसी वित्तीय उत्पाद में निवेश का परामर्श देने के साथ एक बड़ी परेशानी यह है कि लोग उसमें अंधाधुंध निवेश करते हैं और अंततः जरूरत से ज्यादा धातु खरीद लेते हैं.''

विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को निवेश का पांच से 15 प्रतिशत तक ही सोने में करना चाहिए. इसमें सोने की पट्टी (बार), सिक्के, गोल्ड म्युचुअल फंड और एसजीबी सब शामिल किए जा सकते हैं.

सदगोपन कहते हैं, ''चूंकि सोने का दूसरी वित्तीय संपत्तियों के साथ नकारात्मक किस्म का आपसी रिश्ता होता है इसलिए पोर्टफोलियो में अगर सही स्तर तक का निवेश सोने में हुआ हो तो वह इक्विटीज या बॉन्ड जैसी दूसरी संपत्तियों में आने वाली अस्थिरता के झटके को आसानी से अवशोषित कर सकता है. अपने निवेश का पांच से दस प्रतिशत सोने के रूप में रखने में कोई हर्ज नहीं है.''

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टैक्स पर असर

एसजीबी में निवेश पर ब्याज तो मिलता ही है, इसके अलावा यदि इस बॉन्ड को उसकी पूरी अवधि तक रखा जाए तो सरकार टैक्स में भी छूट देती है. परनामी बताते हैं, ''अगर आप भौतिक रूप से सोना या एसजीबी को तीन साल से अधिक समय तक रखते हैं तो इसे लांग टर्म होल्डिंग माना जाता है और यह इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) का पात्र हो जाता है.

हां, तीन साल पहले बेच देते हैं तो यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) में गिना जाएगा और इस पर उस व्यक्ति के व्यक्तिगत टैक्स दायरे के मुताबिक ही एसटीजीसी लगेगा.

बहरहाल यदि आप एसजीबी को इसकी पूरी अवधि तक रखते हैं तो इस पर होने वाली प्राप्ति पूरी तरह से टैक्स मुक्त होगी. एसजीबी पर जो ब्याज मिलेगा, बस उसी पर टैक्स लगेगा. परनामी कहते हैं, ''थोड़ी मात्रा में खरीद की सुविधा के कारण निवेश के लाभ को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि कोई भी निवेशक आगे चलकर सारा सोना एक खाते में लाकर निवेश पोर्टफोलियो बड़ा कर सकता है साथ ही साथ रुपए के मूल्य के औसत का लाभ ले सकता है.

लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं तो 2.5 प्रतिशत सालाना ब्याज, निवेश के कुल रिटर्न पर एक बड़ा फर्क डाल सकता है.''  

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