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गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर ने 1 लाख लोगों को लगाया चूना, ठगे 1 हजार करोड़

कंपनी ने बीते 10 वर्षो में लोगों से 160 करोड़ की रकम विभिन्न स्कीम्स के तहत वसूलीं. लेकिन जब बारी निवेशकों को रकम लौटने की आई, तो कंपनी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर फरार हो गई.

सेबी कर चुकी है ब्लैकलिस्ट सेबी कर चुकी है ब्लैकलिस्ट
सुनील नामदेव/आशुतोष कुमार मौर्य
  • रायपुर,
  • 03 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

महाराष्ट्र पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है, जिसकी तलाश आधा दर्जन से अधिक राज्यों को कई सालों से थी. इस ठग की सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे, क्योंकि वास्तव में लाखों लोगों को ठगने वाला जो व्यक्ति पुलिस के हत्थे चढ़ा है, दरअसल वह पेशे से डॉक्टर है.

इतना ही नहीं वह गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुका है. लेकिन बीते कुछ वर्षों के दौरान चिटफंड और निवेश के नाम पर पृथ्वीपाल सिंह सेठी नाम के इस ठग ने करीब एक हजार करोड़ रुपये उड़ा डाले. महाराष्ट्र पुलिस ने इस शातिर ठग को बुधवार को मुंबई के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया.

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पुलिस के मुताबिक, पृथ्वीपाल सिंह की ठगी के शिकार सर्वाधिक लोग छत्तीसगढ़ में हैं और छत्तीसगढ़ पुलिस पिछले तील साल से उसकी तलाश कर रही थी. पुलिस ने बताया कि ठग डॉक्टर पृथ्वीपाल की टोगो कंपनी ने 1996 में भिलाई से अपना कारोबार शुरू किया. इसके बाद धीरे धीरे यह राज्य के डेढ़ दर्जन जिलों में फ़ैल गई.

इस कंपनी ने बीते 10 वर्षो में लोगों से 160 करोड़ की रकम विभिन्न स्कीम्स के तहत वसूलीं. लेकिन जब बारी निवेशकों को रकम लौटने की आई, तो कंपनी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर फरार हो गई. पीड़ितों ने सरकारी अधिकारियो और पुलिस से लेकर अदालत तक का दरवाजा खटखटाया.

ठगी के शिकार लोगों ने कंपनी की प्रॉपर्टी कुर्क करने की मांग को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी. दो साल पहले भी छत्तीसगढ़ पुलिस इस ठग डॉक्टर की धरपकड़ के लिए महाराष्ट्र गई थी, मगर उसे पकड़ने में नाकामयाब रही थी.

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सेबी द्वारा ब्लैकलिस्टेड है ठग डॉक्टर

इस ठग डॉक्टर की ठगी का कारोबार इतना फैल चुका था कि वह सेबी की नजरों में भी आ गया. सेबी ने 2015 में इसकी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इसके बावजूद पृथ्वीपॉल सिंह अपने स्टॉफ के जरिए कंपनी के लिए निवेश इकट्ठा करता रहा. यह ठग डॉक्टर लोगों को भरोसा दिलाता था कि उनकी रकम 6 साल में दोगुनी हो जाएगी.

पृथ्वीपॉल ने निवेशकों के रुपये को 7 अलग-अलग कंपनियों में निवेश किया था. निवेशकों को अलग-अलग कंपनियों के नाम पर बॉन्ड भी दिए गए. झारखंड में भी इसने बड़ी संख्या में लोगों को चूना लगाया. झारखंड के निवेशकों की शिकायत के बाद सीबीआई ने दो महीने पहले ही 18 कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें इस ठग डॉक्टर की टोगो कंपनी भी शामिल थी.

रांची की इकोनॉमिक ऑफेन्स विंग ने पृथ्वीपाल समेत 200 से अधिक लोगों को इस मामले में नामजद आरोपी बनाया था. इस कंपनी ने पश्चिम बंगाल और असम में भी अपना जाल फैला लिया था. असम में बेसिन इंटरनेशनल के नाम से टोगो ने अपना कारोबार चलाया था.

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