
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को स्कीम को लॉन्च हुए करीब 15 दिन हो गए हैं लेकिन जनता ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है. अब तक इस स्कीम के तहत सिर्फ 400 ग्राम सोना ही जमा हो पाया है.
अभी और प्योरिटी सेंटर्स की जरूरत
इंडस्ट्री के एक प्रमुख सूत्र के मुताबिक, सोने की जांच के लिए सेंटर्स की कमी होना इस असफतला की एक मुख्य वजह है, जिसके लिए वित्त मंत्रालय से बात की गई हैं. इसके अलावा बैंकों में कागजी कार्रवाई का ज्यादा झंझट भी स्कीम को अच्छा रिस्पॉन्स न मिलने की एक वजह के रूप में सामने आ रही है. केन्द्र सरकार की इस योजना का मकसद देश में बिना उपयोग के पड़े करीब 52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के 20 हजार टन सोने को बाजार में लाना था.
बढ़ेंगे प्योरिटी सेंटर्स
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय से इस गोल्ड स्कीम में रफ्तार लाने के लिए अपील की गई है कि वे बीआईएस एक्ट से पंजीकृत ज्वेलर्स को सोने को जमा करने की अनुमति दें. एक मंत्रालय के प्रमुख ने बताया है कि 55 गोल्ड प्योरिटी सेंटर दिसंबर तक खोल दिए जाएंगे जो फिलहाल महज 29 हैं. इसके साथ ही गोल्ड रिफाइनरी की संख्या भी 4 से बढ़ाकर 20 कर दी जाएगी.
अगर यह स्कीम पूरे तरीके से लागू होती है तो यह सरकार, व्यापार और आम आदमी, तीनों के लिए ही फायदा का सौदा साबित होगी. जानिए कैसे -
आम आदमी के पास तीन विकल्प
1) वह सोने के सिक्के खरीद कर गहनों पर लगने वाले 10-15% तक के मेकिंग चार्ज से बच सकता है.
2) वह अपना सोना बैंक में जमा करके लिमिटेड पीरियड के बाद उसे वापस ले सकता है.
3) वह मिनिमम 1 ग्राम से 500 ग्राम सोना खरीद कर सॉवेरिन बॉन्ड में निवेश कर सकता है.
गोल्ड स्कीम के 5 बड़े फायदे
1) इस स्कीम के तहत सोने को बैंक में जमा कराकर सरकार उसे वित्तीय निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकती है. इसके चलते सोने के आयात को भी घटाया जा सकेगा.
2) यह स्कीम इसलिए भी बेहतर है क्योंकि इससे लॉकर में बिना ब्याज के पड़े सोने से बेहतर विकल्प मिल रहा है. इसमें आप नहीं, बल्कि बैंक आपको ब्याज देगा.
3) इससे होने वाली कमाई इनकम टैक्स और कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में भी नहीं आएगी.
4) व्यापारियों को घरेलू बाजार में ही सोना उपलब्ध हो जाएगा जिससे उन्हें इंपोर्ट ड्यूटी के बोझ से छुटकारा मिलेगा.
5) इस योजना से एक बड़े स्तर पर सोने के गहने बनाने वाले उद्योग में हो रही चोरी रुकेगी. सरकार हॉलमार्क वाली जूलरी लेगी जिसके लिए सर्टिफिकेशन चाहिए होगा. इस तरह प्योरिटी वाले आइटम बाजार में आएंगे और सोने में मिलावट कम होगी. इससे आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर बेहतर पकड़ बनेगी.
क्यों ये स्कीम है आपके लिए खास
इस स्कीम के तहत आप अपना सोना बैंक में जमा कर सकते हैं जिसके बदले बैंक आपको एक निश्चित दर पर ब्याज देगा. यह फायदे का सौदा इसलिए है क्योंकि जब आप लॉकर लेकर सोना रखते हैं तो आपको बैंक को पैसे चुकाने पड़ते हैं लेकिन इसमें उल्टे बैंक ही आपको पैसे देगा.
सोना जमा करने की अधिकतम सीमा नहीं
RBI द्वारा जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक इस योजना में कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होगा जबकि अधिकतम की कोई सीमा नहीं है. इसमें गोल्ड-बार, सिक्के, गहने आदि शामिल होंगे. ध्यान रहें कि इसमें मेटल शामिल नहीं होगा.
जमा करने से पहले शुद्धता की होगी जांच
इस स्कीम में तीन तरीके की समयावधि में सोना जमा किया जा सकेगा. शार्ट टर्म (1 से 3 साल), मीडियम टर्म (5 से 7 साल) और लॉन्ग टर्म (12 से 15 साल). इसके अलावा सोने को जमा करने से पहले उसकी शुद्धता की जांच होगी. इसके बाद ही जमा करने संबंधी काम आगे बढ़ाया जा सकेगा.
सोना वापस लें या पैसा, दोनों विकल्प मौजूद
मैच्योरिटी पीरियड समाप्त होने पर आप के यह ऑप्शन होगा कि आप या तो पैसे लें या फिर अपना सोना वापस लें. अच्छी बात यह है कि आपको भुगतान उस समय सोने की कीमत के अनुसार ही किया जाएगा. जब आप सोना जमा करने जाएंगे तब ही आप से पूछ लिया जाएगा कि आप कौन सा विकल्प चुनने जा रहे हैं. ध्यान रहे कि आप इसे बाद में बदल नहीं सकते.