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नवंबर 2017 में आए दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के साफ संकेत दिए थे. अब आए तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से क्या देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है? क्या नोटबंदी और जीएसटी से दबाव में आए भारत के ग्रोथ आंकड़ों में लगातार हो रहे सुधार से समझा जाए कि देश में आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर रफ्तार पकड़ने जा रही है?
क्या आंकड़ों में चीन को पछाड़ कर भारत का एक बार फिर दुनिया की सबसे तेज रफ्तार दौड़ने वाली अर्थव्यवस्था बनना यह तय करेगा कि देश में आर्थिक सुधार के उठाए गए कदमों का अच्छा असर अब दिखना शुरू हो जाएगा? और क्या अब वैश्विक अर्थव्यवस्थों में चीन से भी तेज रफ्तार के साथ भारत न सिर्फ ग्लोबल इनवेस्टर्स को लुभाने में सफल होगा बल्कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को सफल बनाते हुए वह देश में रोजगार सृजन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा देगा?
चालू वित्त वर्ष में कैसे बढ़ रहा जीडीपी आंकड़ा
वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी विकास दर 5.7 फीसदी थी. यह गिरावट देश में 1 जुलाई से जीएसटी लागू करने से पहले आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती के कारण दर्ज हुई. इसके बाद नवंबर में आए जीडीपी की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई. दूसरी तिमाही के ये आंकड़े केन्द्र सरकार के लिए राहत लाई क्योंकि पहली तिमाही में विकास दर के आंकड़े 13 तिमाही के निचले स्तर पर थे. यह गिरावट देश में आर्थिक सुधारों की दिशा में बढ़ते कदमों के कारण आंकी गई. लिहाजा दूसरी तिमाही में ग्रोथ रेट का 6 फीसदी के ऊपर जाना और एक फिर तीसरी तिमाही में ग्रोथ रेट का 7 फीसदी का आंकड़ा पार कर लेना बता रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में केन्द्र सरकार को अनुमान से बेहतर आर्थिक ग्रोथ मिलने की उम्मीद है.
क्या खत्म हो रही आर्थिक सुस्ती
ग्रोथ के आंकड़े साफ दिखा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे दिनों की शुरुआत हो रही है. यह आंकड़े इसलिए भी आर्थिक सुस्ती से बाहर निकलने का साफ संकेत है क्योंकि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2017) में नोटबंदी का दवाब रहा और जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था को दूसरा झटका लगा. लिहाजा, अब इसका 7 फीसदी के ऊपर जाना साफ बता रहा है कि देश में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं.
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सरकार के सहारे नहीं भाग रही अर्थव्यवस्था
देश में निजी क्षेत्र की ग्रोथ समझने के लिए रिएल जीवीए का आंकड़ा देखना अहम है. यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था में कुल उत्पाद और सेवाओं के ग्रोथ को दर्शाता है और अर्थव्यवस्था के वास्तविक स्वास्थ को दर्शाता है क्योंकि इसमें केन्द्र सरकार द्वारा रक्षा समेत अन्य सेवाओं के खर्च का ब्यौरा नहीं रहता. जहां सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 6.3 फीसदी था वहीं दिसंबर तिमाही में यह बढ़कर 6.6 फीसदी पर है तो साफ दिखा रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में आई रफ्तार में रिएल जीवीए का अहम योगदान है और देश की अर्थव्यवस्था बगैर सरकारी खर्च की सपोर्ट के आगे बढ़ रही है.
क्या आ रही ढेरों नौकरियां?
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 6.8 फीसदी की दर्ज हुई ग्रोथ बेहद अहम है क्योंकि देश में सबसे ज्यादा नौकरी पैदा करने के लिए यह क्षेत्र तैयार है. वहीं दूसरा अहम क्षेत्र एग्रिकल्चर है जिसमें 4.1 फीसदी की तेज ग्रोथ देखने को मिली है. लिहाजा, जीडीपी के आए आंकड़ों से साफ है कि देश में नई नौकरियों के लिए अहम दोनों क्षेत्र कंस्ट्रक्शन और एग्रिकल्चर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में अच्छी रफ्तार देखने को मिलेगी.
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किस रफ्तार से बढ़ रहा है निवेश?
जीडीपी के आंकड़ों पर एक अन्य सवाल पूछा जा सकता है. क्या भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश की स्थिति सुधर रही है. क्योंकि लंबी अवधि तक तेज रफ्तार सिर्फ और सिर्फ निजी और सरकारी क्षेत्रों में लगातार निवेश से ही संभव है. साल दर साल के आधार पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 12 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. वहीं दूसरी तिमाही के दौरान यह ग्रोथ 6.9 फीसदी पर थी. आंकड़ों में इस उछाल से साफ है कि देश में बड़े निवेश का रास्ता साफ हो रहा है और आने वाली तिमाहियों में यह आंकड़ा अधिक रफ्तार दर्ज कर सकता है.