
अगस्त महीने में अब तक सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद इस बार खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 45.7 लाख हेक्टेयर ज्यादा रही है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 26 अगस्त को खरीफ का कुल बुवाई क्षेत्र 1019.10 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 973.40 लाख हेक्टेयर था.
मध्य भारत में अच्छी बारिश का असर
खरीफ फसल की बुवाई ज्यादा रहने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है वो है मध्य भारत में हुई अच्छी बारिश. मानसून सीजन की शुरुआत में यानी जून के दूसरे हफ्ते से ही देश में बारिश ने जोर पकड़ लिया था और ये स्थिति अभी भी बनी हुई है. समय पर और व्यापक इलाके में हुई बारिश से किसानों ने खरीफ की फसलों की बढ़-चढ़कर बुवाई की.
मानसून पर निर्भर रहती है खरीफ
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और इसकी मानसून पर निर्भरता काफी हद तक है. इस बार अच्छी बारिश के चलते देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 352.23 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 363.07 लाख हेक्टेयर रहा है. यानी धान उत्पादक राज्यों में रकबे में बढ़ोतरी हुई है. धान की बुवाई बेहतर से इसके उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है और इस बार किसानों की इस फसल में लागत कम रहने की पूरी संभावना नजर आ रही है.
मोटे अनाजों की बुवाई में भी बढ़ोतरी
मोटे अनाजों की खरीफ बुवाई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 10.26 लाख हेक्टेयर बढ़कर 172.73 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. सरसों और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों का बुवाई रकबा भी खरीफ सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले 3.16 लाख हेक्टेयर बढ़कर 177.74 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं दूसरी तरफ गन्ने की बात करें तो इसका बुवाई रकबा कमोबेश पिछले साल के 4.05 लाख हेक्टेयर कम होकर 45.55 लाख हेक्टेयर रहा है.
दलहन की बढ़ाई में इजाफा
दलहन की बात करें तो इस साल इसके बुवाई रकबे में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल 26 अगस्त तक दालों की बुवाई 103.85 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी. लेकिन खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 139.42 लाख हेक्टेयर रहा है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि इस समय दालों की बढ़ी हुई कीमतों और बेहतर मानसून का असर दाल की बुवाई पर भी दिख रहा है. इससे इस बार आने वाले दिनों में दालों की कीमतों में नरमी आने की पूरी संभावना है.