
भारत में बाल विवाह पर तेजी से लग रहे अंकुश की वजह से दक्षिण एशिया में बाल विवाह की दर में भारी गिरावट आई है. पिछले दस साल में दक्षिण एशिया में बाल विवाह की दर 50 फीसदी से घटकर 30 फीसदी पर आ गई है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल में भारत में बाल विवाह की दर 47 फीसदी से घटकर 27 फीसदी रह गई है.
गौरतलब है कि 20 से 24 वर्ष की महिलाओं की पहली शादी यदि 18 वर्ष से कम उम्र में हो, उसे बाल विवाह माना जाता है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, साल 2005-06 में भारत में बाल विवाह की दर 47 फीसदी थी. साल 2015-16 में यह आंकड़ा घट कर 27 फीसदी रह गया.
वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक लड़की (21 फीसदी) की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है. दस साल पहले यह आंकड़ा करीब 25 फीसदी का था. खासकर दक्षिण एशिया में इसमें आई तेज गिरावट की वजह से इन आंकड़ों में सुधार हुआ है.
चिंता की कई बातें अब भी मौजूद
हालांकि यूनिसेफ की रिपोर्ट में यह चिंता भी जताई गई है कि कई जिलों में अब भी बाल विवाह की दर बहुत ज्यादा है. खासकर आदिवासी समुदायों और अनुसूचित जाति जैसी कुछ विशेष जातियों में यह समस्या है. रिपोर्ट के अनुसार बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान में बाल विवाह की दर सबसे ज्यादा 40 फीसदी तक है, जबकि तमिलनाडु और केरल में यह 20 फीसदी से कम है.
रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलावा इथियोपिया में भी बाल विवाह की दर में 30 फीसदी की भारी गिरावट आई है. भारत में यह तेज गिरावट क्यों आई इसका पता नहीं चला है, लेकिन यह मुख्यत: इस वजह से हो सकता है कि महिलाएं ज्यादा शिक्षित हो रही हैं और उनकी आकांक्षाएं बदल रही हैं.