Advertisement

नीतीश को गोपाल सुब्रमण्यम का साथ, मात्र 1 रुपये में SC में शराबबंदी का लड़ेंगे केस

बिहार सरकार के सामाजिक अभियान में सहयोग करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने मुकदमा लड़ने की फीस मात्र एक रुपये टोकन मनी देने का अनुरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम
सुजीत झा/सुरभि गुप्ता
  • पटना,
  • 22 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST

बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम का साथ मिला गया है. गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट में मात्र 1 रुपये में बिहार सरकार की ओर से शराबबंदी का केस लड़ने का फैसला लिया है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने अपने द्वारा लिए फैसले के बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि बिहार सरकार ने सूबे में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर अभूतपूर्व काम किया है.

Advertisement

एक रुपये टोकन मनी देने का अनुरोध
सुब्रमण्यम ने लिखा है कि नीतीश सरकार ने शराब पर पाबंदी लगाकर सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की है. समाज की बुराइयों को दूर करने में शराबबंदी सहायक होगी. बिहार सरकार के सामाजिक अभियान में सहयोग करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने मुकदमा लड़ने की फीस मात्र एक रुपये टोकन मनी देने का अनुरोध किया है.

बहस करने का हर सुनवाई में 14 लाख रुपये है फीस
उत्पाद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम सामान्य तौर पर किसी मुकदमे के लिए कोर्ट में बहस करने का हर सुनवाई में 14 लाख रुपये लेते हैं, जबकि कॉन्फ्रेंसिग कर कोई जानकारी लेनी हो, तो इसके लिए गोपाल सुब्रमण्यम की फीस चार लाख रुपये है.

बिहार सरकार का पक्ष रख चुके हैं सुब्रमण्यम
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम अब तक सुप्रीम कोर्ट में एक दिन बिहार सरकार का पक्ष रख चुके हैं. साथ ही चार बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर बिहार सरकार के अधिकारियों और वकीलों से आवश्यक जानकारी भी ले चुके हैं. कॉन्फ्रेंसिंग करने पर भी वे बिहार सरकार से कोई राशि नहीं लेंगे. उल्लेखनीय है कि पटना हाई कोर्ट ने शराबबंदी कानून को असंवैधानिक बताया था. साथ ही इसके प्रावधानों में से कुछेक को समाप्त कर दिया था. इसके विरुद्ध बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement