Advertisement

सैफई बनाम गोरखपुरः जानिए किस तरह से अलग हैं ये दोनों महोत्सव

उत्तर प्रदेश की जनता की तकलीफों और आंसुओं को दरकिनार कर प्रदेश सरकार ने पहले सैफई और अब गोरखपुर में महोत्सव का आयोजन किया. दोनों ही कार्यक्रमों में जनता का पैसा ही लगा.

गोरखपुर महोत्सव की फोटो गोरखपुर महोत्सव की फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

उत्तर प्रदेश की जनता के लिए सरकार की ओर से सरकारी खर्चें पर महोत्सव मनाने का चलन सपा राज के बाद अब भाजपा राज में भी जारी है. मुलायम और अखिलेश राज में सैफई महोत्सव में आम जनता का पैसा खर्च किया जाता रहा और अब योगी राज में गोरखपुर महोत्सव में यह खर्च बरकरार है. हालांकि दोनों महोत्सव के आयोजन में काफी अंतर है.

Advertisement

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी क्षेत्र गोरखपुर में महोत्सव की शुरुआत इस साल से हो रही है, जबकि सैफई महोत्सव की शुरुआत 1997 में हुई और हर साल इसे दिसंबर में मनाया जाता है. हालांकि पिछले साल पार्टी के सत्ता से बाहर होने और शीर्ष स्तर पर नेताओं की आपसी तनातनी के कारण इस बार के महोत्सव की पुरानी वाली रौनक गायब है. सरकारी प्रशासन पिछली बार की तरह इस बार इसको लेकर गंभीर नहीं है. एक नजर डालते हैं कि इन दोनों महोत्सव के आयोजन में कितना अंतर है-

सैफई महोत्सव करवाने वाले अखिलेश चाहकर भी नहीं कर पा रहे गोरखपुर महोत्सव का विरोध

दावा किया जा रहा है कि गोरखपुर महोत्सव में महज 33 लाख रुपए ही खर्च किए जा रहे हैं. योगी के क्षेत्र में महोत्सव में 33 लाख के खर्च के दावे पर सपा नेता आजम खान ने सवाल उठाया है कि जिस तरह का आयोजन किया जा रहा है क्या इतने कम पैसे में संभव हो सकता है. हालांकि खबर आ रही है कि शासन ने कार्यक्रम को भव्य तरीके से कराने के लिए और एक करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं. दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी अपने पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के शहर सैफई में महोत्सव के दौरान पानी की तरह पैसा खर्च किया करती थी. सपा पर सैफई महोत्सव के दौरान करोड़ों रुपए खर्च करने के आरोप लगते रहे हैं.

Advertisement

गोरखपुर: मासूमों की मौत के साये में महोत्सव

गोरखपुर महोत्सव को आम जनता के लिए बताया जा रहा है, जबकि सैफई महोत्सव को राज्य सरकार की ओर से सपा की शीर्ष यादव फैमिली का निजी कार्यक्रम करार दिया जाता था.

गोरखपुर में आयोजित कार्यक्रम में शंकर महादेवन, रवि किशन, मालिनी अवस्थी, अनूप जलोटा, अनुराधा पौड़वाल, शान और ललित पंडित जैसी हस्तियां भाग ले रही हैं, जबकि सैफई के कार्यक्रम में बॉलीवुड के शीर्ष स्तर के सितारों का जमावड़ा लगा रहता था. सुपरस्टार सलमान खान, ऋतिक रोशन और कैटरीना कैफ जैसे बड़े सितारे सैफई में ठुमके लगाया करते थे. उनके लाने के लिए विशेष तौर पर विमान भेजे जाते थे.

सैफई और गोरखपुर महोत्सव दोनों में प्रशासन का जमकर इस्तेमाल किया गया. गोरखपुर कार्यक्रम में 6 अपर पुलिस अधीक्षक समेत एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. जबकि सपा राज में सैफई महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ आसपास के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को वहां तैनात कर दिया जाता था.

सैफई महोत्सव के दौरान जहां पूरी सरकार वहीं डेरा डाले रहती थी और ज्यादातर मंत्री मौजूद रहते थे, जबकि गोरखपुर में कार्यक्रम के दौरान बेहद कम संख्या में मंत्री अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

सैफई हो या फिर गोरखपुर महोत्सव दोनों ही कार्यक्रमों के दौरान सरकार ने संवेदनहीन रवैया अपनाया और दुखदायी घटनाओं को किनारे रखते हुए भव्य और रंगारंग कार्यक्रम को अंजाम दिया.

Advertisement

हालांकि इन दोनों ही कार्यक्रमों की खास बात यह रही है कि इसे प्रासंगिक ठहराने के लिए आयोजकों ने बॉलीवुड ठुमके के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद, प्रदर्शनी और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम रखे हैं. गोरखपुर महोत्सव में इंटर स्कूल चैम्पियनशिप के तहत 16 प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं. इनमें पेंटिंग, चेस, क्यूब्स, स्पेलिंग, लोकगीत, संस्कृत श्लोक, डांस, फैंसी ड्रेस, बैनर डिजाइनिंग आदि शामिल किया गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement