
संसद मार्ग पर 7 नवंबर 1966 को लाखों गौभक्तों पर गोलीबारी की पचासवीं बरसी पर संतो और गौसेवकों की पंचायत जुटी. संतो ने गौ हत्या के मुद्दे पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को निशाने पर लिया.
नई दिल्ली के संसद मार्ग पर हुई इस पंचायत में सभी संत और गौसेवकों ने गाय और गोवंश की रक्षा के मुद्दे के साथ पर्यावरण और प्रदूषण का भी मुद्दा उठाया और सरकार को आड़े हाथों लिया.
50 साल पहले जुटे थे लाखों गौसेवक
पचास साल पहले सात नवंबर 1966 को भी इसी जगह लाखों गौसेवक जुटे थे. तब के कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की सरकार ने लाखों गौसेवको पर गोलियां बरसाई थी और तब सरकारी गोलियों से सैकड़ों गोसेवक मारे गए थे. तब भी संतो और गौसेवको ने सरकार को निशाने पर लिया था.
गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि गोधरा कांड से ही नरेंद्र मोदी सीएम पद पर दस साल रहे और अब वह पीएम है. अब अगर गंगा और गाय के मुद्दे पर उन्होंने अनदेखी की तो यह मुद्दे रसातल में भेज दिये जाएंगे.
मोदी के गौरक्षकों पर बयान की निंदा
पचास साल पहले भी इस मंच पर मौजूद रहे गौसेवको को अब के आंदोलन में भावना की कमी नजर आती है, उनके अनुसार सरकारें आंदोलनों की उपेक्षा करती है. मोदी के गौरक्षकों के 'गुंडा होने' के बयान को भी अधिकतर गौसेवक दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं।
गीताप्रेस गोरखपुर के संपादक राधेश्याम खेमका ने कहा कि पीएम मोदी के बयान से हमें बहुत दुख पहुंचा है, इससे बढ़िया तो मोदी चुप ही रहते तो अच्छा था.