Advertisement

सिस्टम बदलने का जज़्बा जगाती है अब्दुल कलाम की यह किताब

पूर्व राष्ट्रपति और जाने-माने वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने इस किताब में अपने अनुभवों और सुझावों से गर्वनेंस के अलग-अलग पहलुओं को समझाने की बेहतरीन कोशिश की है. कहीं न कहीं इसमें भी उनकी पहली किताब 'अग्नि की उड़ान' की झलक भी मिलती है. कलाम ने भ्रष्टाचार, गर्वनेंस और जवाबदेही जैसे मसलों के समाधान के लिए बढ़िया सुझाव दिए हैं.

governance for growth in india by abdul kalam governance for growth in india by abdul kalam
aajtak.in
  • ,
  • 28 मई 2014,
  • अपडेटेड 12:26 AM IST

किताब: 'गर्वनेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया'
कीमत: 195 रुपए
लेखक: एपीजे अब्दुल कलाम
पब्लिकेशन: रूपा पब्लिकेशन

पूर्व राष्ट्रपति और जाने-माने वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने इस किताब में अपने अनुभवों और सुझावों से गर्वनेंस के अलग-अलग पहलुओं को समझाने की बेहतरीन कोशिश की है. कहीं न कहीं इसमें भी उनकी पहली किताब 'अग्नि की उड़ान' की झलक भी मिलती है. कलाम ने भ्रष्टाचार, गर्वनेंस और जवाबदेही जैसे मसलों के समाधान के लिए बढ़िया सुझाव दिए हैं. प्रगतिशील, आशावादी और सकारात्मक सोच से उन्होंने एक ऐसे भारत का सपना देखा है, जिससे भारत के हर नागरिक का विकास सुनिश्चित हो सके. आप चाहें तो इस किताब को रोडमैप की तरह इस्तेमाल करके भारत में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. किताब पढ़ते समय आपको कहीं न कहीं लगेगा कि आप इन विषयों को अच्छे से जानते हैं. अच्छी बात है कि सभी अध्यायों को बिंदुवार तरीके से लिखा गया जिसे समझना बेहद आसान है.

Advertisement

गली मोहल्ले में राजनीति और चुनावों को लेकर चर्चा करने वालों और राष्ट्रीय राजनीति को करीब से जानने वालों के लिए यह किताब उपयोगी होगी. कलाम पूरे भारत में घूमकर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मिल चुके हैं.

'गर्वनेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया' किताब को कलाम ने एक दूरदर्शी और व्यावहारिक लहजे में भारत के विकास और गर्वनेंस को ध्यान में रखकर लिखा है. उन्हें यकीन है कि युवा पीढ़ी हमारे मौजूदा राजनीतिक सिस्टम को बदल सकती है. घर से बच्चे को करप्शन फ्री रहने की सीख दी जाए, तो भारत को करप्शन फ्री देश बनने से कोई नहीं रोक सकता.

उन्होंने जनप्रतिनिधियों को क्रिएटिव लीडरशिप का कॉन्सेप्ट अपनाने को कहा है. क्रिएटिव और पैशनेट लीडरशिप में नए-नए विचारों के साथ साहसिक फैसले लेने को भी शामिल किया जाना चाहिए. इसका एक अच्छा और ताजा तरीन उदाहरण देते हुए उन्होंने ई श्रीधरन और विक्रम साराभाई जैसे चर्चित लोगों के कारनामों का भी जिक्र किया है. कलाम ने बच्चों में बचपन से ही लीडरशिप का गुण डालने पर जोर दिया है.

Advertisement

देश को बदलने के लिए सांइटिफिक अप्रोच रखने वाले कलाम ने इस किताब में सीएजी की भी खुलकर तारीफ की है. उनका मानना है कि इस संवैधानिक संस्था ने पिछले कुछ सालों में अलग-अलग क्षेत्रों में काफी अच्छे रिव्यू दिए. लेकिन ये रिव्यू उस समय आए, जब उन क्षेत्रों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी. सीएजी को सिस्टम में शामिल होकर समय-समय पर अपने रिव्यू देते रहने चाहिए, जिससे प्रभावशाली ढंग से काम हो सकें.

देश के बजट का 20 फीसदी हिस्सा रक्षा बजट पर खर्च होता है. इसलिए डिफेंस मिशन में भी पारदर्शिता लानी चाहिए. कलाम ने सुझाव दिए हैं कि डिफेंस अकांउट डिपार्टमेंट की ऑडिट टीम और तकनीकी टीम को आपस में मिलकर काम करना चाहिए. राजनीति में युवाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को भी कई सुझाव दिए हैं. पार्टियां अपने घोषणा पत्र में विकास की योजनाओं को शामिल कर डेवेलपमेंट घोषणा पत्र बनाएं. चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करे कि जीतने पर पार्टी घोषणा पत्र के सभी वादे एक निर्धारित समय में पूरा करे. इससे युवा उनको उनके काम के आधार पर चुनेंगे और आने वाले समय में वो भी राजनीति में आना चाहेंगे.

क्यों पढ़ें ये किताब
अगर आप देश के लिए अपने स्तर से कुछ छोटा-बड़ा करना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें. सिस्टम को बदलने की सकारात्मक सोच को नई ऊर्जा मिलेगी. आपको लगता है कि चाहे जो कर लो सिस्टम नहीं बदलने वाला, तब भी एक बार हिम्मत करके पूरी पढ़ जाएं. मेरी राय में तो हर जनप्रतिनिधि को भी यह किताब पढ़नी चाहिए.

Advertisement

क्‍यों न पढ़ें ये किताब
अगर देश के लिए कुछ खास करने में दिलचस्पी नहीं है, राजनीति और सिस्टम से खुद को जोड़ नहीं पाते हैं तो जहमत न करें.

कलाम ने सुनाया किस्सा
किताब में कलाम ने अपने दौर के कई अच्छे नेतृत्व के उदाहरण भी पेश किए हैं. नरसिम्हा राव की सरकार के कार्यकाल में कलाम ने एक घटना का उल्लेख किया है. एक दिन कलाम के पास नरसिम्हा राव का फोन आया. उन्होंने कलाम को अपनी टीम के साथ न्यूक्लियर टेस्ट के लिए तैयार रहने को कहा. उस समय राव की सरकार जाने वाली थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आने वाली थी. कलाम ने लिखा है कि राव ने उन्हें और वाजपेयी को बुलाकर उनके सामने न्यूक्लियर टेस्ट की सारी डिटेल्स देने को कहा ताकि आने वाली सरकार को एक स्मूद टेकओवर दिया जा सके. कलाम उस समय उस घटना के गवाह थे, जब राजनीति को भुलाकर दो नेता सिर्फ देश के लिए सोच रहे थे. उन्होंने यह भी लिखा है कि वाजपेयी और राव दोनों ऐसे साहसी नेता थे, जिनमें देश के लिए बड़े फैसले लेने का दम था.

साहस पर कलाम ने एक और घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि एक बार जब वो SU-30 MKI एयर क्राफ्ट उड़ा रहे थे. जैसे ही एयर क्राफ्ट नीचे उतरा, कई नौजवान और मीडिया के लोग उनसे बातें करने लगे. एक ने कहा कि आपको 74 साल की उम्र में सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट को चलाने में डर नहीं लगा. इस पर कलाम का जवाब था, 40 मिनट की फ्लाइट के दौरान मैं यंत्रों को कंट्रोल करने में व्यस्त रहा और इस दौरान मैंने डर को अपने अंदर आने का समय ही नहीं दिया.

Advertisement

इस किताब के आखिरी हिस्से में कलाम ने लिखा है कि सभी युवा अपने लक्ष्य को एक पेज पर लिखें और वह पेज समाज में एक अच्छे बदलाव लाने का एक पेज साबित होना चाहिए. फिर बदलाव चाहे गरीबी कम करने का हो, किसी साइंटिफिक खोज का हो या फिर अन्याय के खिलाफ लड़ाई का हो. आप वह पेज कलाम को मेल भी कर सकते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement