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22 अगस्त को बीएमएस और सरकार के बीच दोबारा बातचीत, 2 सितंबर को हड़ताल पर अड़ा मजदूर संघ

आर्थिक मुद्दों पर आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ और मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच मंगलवार शाम को हुई बातचीत बेनतीजा रही. सरकार कई मांगों पर सकारात्मक दिख रही है लेकिन अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर गतिरोध बना हुआ है.

संघ से जुड़ा मजदूर संगठन है बीएमएस संघ से जुड़ा मजदूर संगठन है बीएमएस
राकेश उपाध्याय
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

आर्थिक मुद्दों पर आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ और मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच मंगलवार शाम को हुई बातचीत बेनतीजा रही. सरकार कई मांगों पर सकारात्मक दिख रही है लेकिन अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर गतिरोध बना हुआ है.

कई मुद्दों पर गतिरोध जारी
वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ सरकार के चार वरिष्ठ मंत्रियों ने बीएमएस के साथ शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक करीब तीन घंटे तक चली माथापच्ची में सरकार ने बीएमएस की सभी मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाया. हालांकिं न्यूनतम मजदूरी, बोनस, कॉन्ट्रैक्ट मजदूरी, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा, आंगनबाड़ी कर्मियों के हितों की सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों सरकार और बीएमएस के बीच कोई सर्वमान्य फॉर्मूला नहीं निकल सका.

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सरकार ने मांगा और वक्त
सरकार की ओर से बातचीत के लिए और ज्यादा वक्त मांगे जाने की बात बीएमएस नेताओं ने मान ली. हालांकि, बीएमएस ने बगैर सहमति और नोटिफिकेशन जारी हुए 2 सितंबर को दी गई देशव्यापी हड़ताल का प्रस्ताव वापस लेने से इनकार कर दिया. सरकार और बीएमएस के बीच अब दूसरे दौर की बातचीत 22 अगस्त को दिल्ली में होगी.

चार मंत्री हुए बैठक में शामिल
वित्त मंत्रालय में चली बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे. बीएमएस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बैजनाथ राय, महामंत्री विरजेश उपाध्याय, संयुक्त मंत्री बी सुरेंद्रन, पूर्व अध्यक्ष सजीनारायण, केंद्रीय मंत्री पवन कुमार ने बैठक में हिस्सा लिया.

न्यूनतम मजदूरी को लेकर पेच
अरुण जेटली ने बीएमएस की इस मांग को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया कि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी पूरे देश में एक समान फॉर्मूले पर नए सिरे से तय होनी चाहिए तो दूसरी ओर बीएमएस ने भी सैद्धांतिक रूप से ये बात मान ली कि कई दशक पुराने श्रम कानूनों में बदलाव के लिए सरकार के प्रस्ताव न्यायसंगत है.

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ज्यादातर मांगें मानने को तैयार सरकार
हालांकि, बीएमएस ने ये भी साफ किया कि श्रम कानूनों में कोई भी बदलाव बगैर मजदूर संगठनों से चर्चा के नहीं किए जाने चाहिए. बीएमएस के महामंत्री विरजेश उपाध्याय ने बैठक के बाद आजतक से बातचीत में कहा कि सरकार का रुख उत्साहजनक दिखा. सरकार बीएमएस की 12 सूत्रीय मांगों में से ज्यादातर पर ठोस कार्रवाई के मूड में दिखी है. 22 अगस्त की बैठक में सरकार न्यूनतम मजदूरी समेत अनेक मुद्दों पर ठोस पहल जरुर करेगी, इसका भरोसा मंगलवार की बैठक में मिल गया है.

सरकार के रुख की सराहना
बैठक में शामिल बीएमएस के केंद्रीय सचिव पवन कुमार ने कहा कि बीड़ी मजदूरों के हितों को लेकर सरकार का रुख बेहद सराहनीय रहा. आंगनबाड़ी कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने से लेकर उनके कल्याण के लिए योजनाएं लागू करने का भी सरकार ने भरोसा दिया है.

मांगें मानी गईं तो हड़ताल वापस
उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया अगर 22 अगस्त की बैठक में कार्यरूप में बदला तो मजदूर संघ 2 सितंबर को हड़ताल वापसी पर विचार कर सकता है, लेकिन अगर सरकार ने मांगों पर ठोस कार्रवाई में आनाकानी की तो हड़ताल में जाने के सिवाय बीएमएस के पास कोई रास्ता नहीं है.

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12 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान
गौरतलब है कि 12-13 अगस्त को भोपाल में भारतीय मजदूर संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 सितंबर को ट्रेड यूनियन की ओर से बुलाई गई देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने का फैसला लिया है. मजदूर संघ के नेताओं ने आरएसएस के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले की मौजूदगी में हड़ताल का प्रस्ताव पारित किया और साफ किया कि अगर सरकार को मजदूरों की परवाह नहीं है तो मजदूरों को भी सरकार की कोई परवाह नहीं.

बीएमएस की बैठक में हुआ था फैसला
हालांकि, बीएमएस की बैठक भोपाल में खत्म होते ही दिल्ली में सरकार ने बीएमएस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को उनकी सभी मांगों पर विचार करने के लिए न्योता भेज दिया.

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