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आईटी कानून की धारा 66 (ए) का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी

‘फेसबुक’ पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में कुछ लोगों की हालिया गिरफ्तारी पर बरपे हंगामे के बाद सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून की धारा 66 (ए) का गलत इस्तेमाल रोकने के मकसद से दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

कपिल सिब्‍बल कपिल सिब्‍बल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2012,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST

‘फेसबुक’ पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में कुछ लोगों की हालिया गिरफ्तारी पर बरपे हंगामे के बाद सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून की धारा 66 (ए) का गलत इस्तेमाल रोकने के मकसद से दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

दिशानिर्देशों के तहत सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66 (ए) के तहत मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी कम से कम पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रैंक के अधिकारी ही दे सकेंगे. महानगरों में इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी पुलिस-महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के अधिकारी से ही लेनी होगी.

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इन रैंकों के अधिकारी ही आईटी कानून के तहत इलेक्टॉनिक संदेशों के जरिए नफरत फैलाने के मामले दर्ज किए जाने की इजाजत देने के लिए अधिकृत होंगे.

एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि संबंधित पुलिस अधिकारी या पुलिस थाने उस वक्त तक कोई शिकायत (66-ए के तहत) दर्ज नहीं कर सकते जब तक शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में डीसीपी रैंक के अधिकारी और महानगरों में आईजी रैंक के अधिकारी से पहले इजाजत नहीं ले ली जाती.

बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई में बंद जैसी स्थिति की फेसबुक पर आलोचना करने के कारण पिछले सप्ताह दो लड़कियों की गिरफ्तारी और एक 19 वर्षीय लड़के को मनसे प्रमुख राज ठाकरे एवं मराठियों के खिलाफ सोशल नेटवर्किंग साइट पर ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी करने के लिए पकड़ लिया गया था.

इन मामलों के बाद सरकार सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66 (ए) के तहत ये दिशानिर्देश जारी कर रही है. यह धारा इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के जरिए घृणा फैलाने से संबंधित है. धारा 66 (ए) जमानती अपराध है और इसके तहत तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है.

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सू़त्रों ने कहा कि सरकार को इस बात का भरोसा है कि नए दिशानिर्देश लागू होने के बाद ऐसी घटनाएं नहीं होंगी. उन्होंने कहा, ‘प्रक्रियात्मक मुश्किलें थीं, धारा 66 (ए) के तहत शिकायतें दर्ज करने के संबंध में हम सभी राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी करेंगे.

हालांकि सरकार के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि आईटी कानून में संशोधन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसका अधिकार सिर्फ संसद के पास है और सरकार की मंशा सिर्फ कार्यान्वयन संबंधी दिशानिर्देश जारी करना है.

साइबर कानून के जानेमाने वकील पवन दुग्गल ने कहा कि भले ही इस कदम के पीछे अच्छी मंशा हो, लेकिन इससे वांछित लक्ष्य हासिल नहीं होगा क्योंकि यह बारिश के दौरान टपकने वाली छत का बैंडेज से मरम्मत करने जैसा है. उन्होंने कहा कि वांछित परिणाम तभी हासिल होंगे, जब आईटी कानून में संसद के जरिए संशोधन किया जाएगा.

उधर दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने आईटी कानून के विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा के लिए समाज के सदस्यों से मुलाकात की. सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी के नीति निदेशक प्राणेष प्रकाश ने इस कदम का स्वागत किया.

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