
सीबीएसई में फिर से दसवीं की बोर्ड परीक्षा होगी. अगले सत्र में यानी 2017-18 में CBSE की दसवीं की बोर्ड परीक्षा होगी. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसका ऐलान किया. हालांकि सरकार ने इस बदलाव को लेकर पहले ही संकेत दे दिया था और प्रकाश जावड़ेकर ने दसवीं की परीक्षा से ग्रेडिंग सिस्टल हटाने की बात कही थी. इस ऐलान के साथ ही अब साल 2018 में दसवीं की बोर्ड परीक्षा होगी.
दरअसल साल 2010 में बोर्ड परीक्षाओं को खत्म कर साल भर के आधार पर ग्रेडिंग की सुविधा शुरू की गई थी. इसके पीछे तर्क था कि ग्रेडिंग सिस्टम स्टूडेंट्स पर दबाव कम करेगा. इन बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत के पीछे राज्य और बच्चों के माता-पिता की ओर से आने वाली प्रतिक्रियाएं थीं. वे कहते हैं कि इन बोर्ड परीक्षाओं के नहीं कराए जाने की वजह से पढ़ाई का स्तर गिरा है.
आगे की तैयारी के लिए बताया जरूरी...
वहीं दसवीं बोर्ड परीक्षाओं के पक्ष में वकालत करने वाले इसे आगे की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं. छात्रों को न रोकने की पॉलिसी ने शिक्षकों के अधिकारों में भी कटौती की है. मानव संसाधन मंत्रालय अपने इस कदम को शिक्षा में बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बता रहा है.
ड्रॉपआउट रोकने के लिए NCERT नहीं है साथ
आज भले ही 'नो डिटेंशन' का फॉर्मूला उलझा हुआ लगता हो, मगर यह राज्य का मामला है कि वे क्लास पांच, छह, सात और आठ में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को फिर से उसी क्लास में रोकना चाहते हैं. हालांकि 'दुबारा परीक्षा' को वे अनिवार्य बनाएंगे. वहीं एनसीईआरटी (NCERT) भी 'नो डिटेंशन' के हटाए जाने के खिलाफ है.