
1960 के दशक की फिल्म 'मैरी पॉपिंस' का गीत 'फीड द बर्ड्स टुपेंस ए बैग' तो अमर हो गया, लेकिन सावधान! ऐसा करना जोखिमपूर्ण हो सकता है. राजधानी में 42 वर्षीय बलवंत सिंह और अन्य अनेक लोग हर सुबह कबूतरों को दाना खिलाते हैं. लेकिन उन्हें अपनी सेहत और आसपास के इलाके की स्वच्छता से समझौता करना पड़ सकता है.
शहर में पक्षियों को दाना खिलाना धीरे-धीरे एक नए चलन का रूप ले रहा है. फिर चाहे यह जगह फ्लाईओवर के नीचे या सड़क किनारे ही क्यों न हो. ये जगह लोगों के लिए पक्षियों के खाना डालने की जगह हो गई हैं, लेकिन इससे न केवल जगह गंदी होती है बल्कि जुटने वाला पक्षियों का झुंड स्वास्थ्य संबंधी जोखिम की वजह बन सकता है.
फोर्टिस अस्पताल में श्वसन संबंधी चिकित्सा विभाग के प्रमुख विवेक नागिया ने बताया कि खुले में पड़ी कबूतरों की बीट (मल) संक्रमण का सबब बन सकती है. यह संक्रमण 'बर्ड फैंसीयर्स डिजीज' कहलाता है. यह तीव्र श्वसन संक्रमण फेंफड़ों को प्रभावित करता है. सूखी खांसी, बेचैनी और थकान इसके लक्षण हैं और इसकी वजह से बुखार भी आ सकता है.
नागिया ने बताया कि समस्या का निदान बहुत मुश्किल हो जाता है. सूखी खांसी और बेचैनी अक्सर अस्थमा के लक्षण होते हैं, लेकिन अगर कबूतर की बीट का सामना कुछ अवधि के लिए करना पड़ा हो, तो चिकित्सक को इसके बारे में बताना चाहिए. लेकिन बलवंत सिंह और कुछ अन्य के लिए पक्षियों को दाना खिलाना पुण्य का काम है.
दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-2 को जाने वाली सड़क पर हर सुबह पक्षियों को दाना खिलाने वाले सिंह ने कहा कि मैं यहां अर्से से आ रहा हूं और यह एक आदत बन गई है. 30 वर्षीया सविता ने कहा कि नेकी एक अलग चीज है लेकिन मुझे पक्षियों को दाना खाते देखना पसंद है. हमें ऐसा जमावड़ा बहुत कम ही देखने को मिलता है.
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में श्वसन संबंधी विशेषज्ञ मानव मनचंदा ने कहा कि कबूतरों को दाना खिलाते समय चौकस रहना चाहिए. कभी-कभी कबूतरों की बीट से होने वाला संक्रमण निमोनिया की तरह गंभीर रूप ले सकता है.