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धीरे-धीरे गायब हो रही है चीन की दीवार

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शुमार चीन की दीवार में सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस मुताबिक उसकी देखरेख नहीं हो रही है. यही वजह है कि इसपर अब नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.

चीन की दीवार चीन की दीवार
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2015,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शुमार चीन की दीवार में सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस मुताबिक उसकी देखरेख नहीं हो रही है. यही वजह है कि इसपर अब नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.

चीन की दीवार का एक बढ़ा हिस्सा प्राकृतिक आपदा, प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों और मानवीय लापरवाही के कारण गायब हो चुका है. ग्रेट वॉल ऑफ चाइना सोसायटी के सर्वे के मुताबिक, इस दीवार का आठ प्रतिशत हिस्सा मिंग साम्राज्य के समय 14 से 17 शताब्दी के बीच बना. विदेशी आक्रमणकारियों से देश को बचाने के लिए यह निर्माण किया गया था. ये हिस्सा वर्तमान समय में सबसे ज्यादा नजर आती है और ये अच्छी तरह से संरक्षित भी है.

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सर्वे के मुताबिक ये महान दीवार अब एक अटूट संरचना नहीं रही. अब यह कई हिस्सों में बंट चुकी है. 1962 किलोमीटर दीवार टूट चुकी है. तेजी से पौधे भी उगने लगे हैं, कई टॉवर इतने जर्जर हो चुके हैं कि एक बारिश और तूफान में ही ढह जाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक पर्यटन ने भी इस ऐतिहासिक संरचना को काफी नुकसान पहुंचाया है.

यही नहीं, आसपास के गांव के कुछ लोग अपना मकान बनाने के लिए यूनेस्को के इस विश्व धरोहर स्थल से ईंटे तक चुरा ले जा रहे हैं. इतना ही नहीं, इन ईंटों को बेचा भी जाता है. दीवार को बचाने के लिए जुर्माना भी रखा गया है, लेकिन इसकी निगरानी के लिए कोई संस्था नहीं है.

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