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नॉकआउट के बादशाह थे 'मोहम्मद अली'

अपनी बेबाक टिप्पणियों और 1960 के दशक में अमेरिकी सेना में भर्ती होने से इन्कार करने के बावजूद अली का जादुई प्रभाव लोगों पर बना रहा और उन्होंने जिस किसी भी खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया.

मोहम्मद अली मोहम्मद अली
सूरज पांडेय
  • फीनिक्स, अमेरिका,
  • 04 जून 2016,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

उनके मुक्के दमदार होते थे और अपनी तेजी से प्रतिद्वंद्वी को हतप्रभ करने में माहिर थे. इस हैवीवेट चैंपियन ने अपने काम से दुनिया को रोमांचित करने का वादा किया और फिर वह इसमें सफल भी रहे. यहां तक कि जब कई मुक्के खुद सहने का खामियाजा वह भुगत रहे थे और बमुश्किल बात कर पाते थे तब भी वह लोगों को प्रभावित करते थे.

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मुक्केबाजी के पर्याय थे अली
वह महानतम थे. वह मुक्केबाजी के पर्याय थे. वह कोई और नहीं बल्कि मोहम्मद अली थे जिनका 74 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्हें फीनिक्स में सांस की तकलीफ के कारण इस सप्ताह के शुरू में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान अली के बच्चे उनके साथ थे. अपने करारे मुक्कों के दम पर अली ने दो दशक तक मुक्केबाजी में अपनी बादशाहत बनाये रखी लेकिन इस बीच उन्होंने अपने सिर पर भी हजारों मुक्के सहे जिसके कारण बाद में उन्हें पर्किन्सन नाम की बीमारी ने जकड़ दिया.

विद्रोही स्वभाव के थे मोहम्मद अली
यह 1981 की बात है जब इस बीमारी से उनका मजबूत शरीर कमजोर सा हो गया था. उनकी जादुई आवाज लगभग बंद हो गई थी. उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकाबलों में हैवीवेट चैंपियनशिप जीती और बाद में उनका बचाव किया. उन्होंने अश्वेत लोगों के पक्ष में अपनी आवाज उठायी और इस्लाम में विश्वास करने के कारण वियतनाम युद्ध के दौरान सेना में भर्ती होने से इन्कार कर दिया था.

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अपनी आत्मकथा ‘द ग्रेटेस्ट’ में अली ने लिखा कि जब मोटरसाईकिल पर सवार श्वेत लोगों के समूह ने उनके साथ झगड़ा किया तो उन्होंने अपना गोल्ड मेडल ओहियो नदी में फेंक दिया था. हालांकि अली ने बाद में दोस्तों से कहा कि उनका पदक असल में खो गया था. उनका कद छह फुट तीन इंच और वजन 210 पाउंड था. उन्होंने इस तरह से अपनी हैवीवेट मुकाबले लड़े जैसे पहले कभी कोई नहीं लड़ा था.

उन्होंने खतरनाक सोनी लिस्टन को दो बार धूल चटायी. मजबूत जॉर्ज फोरमैन को जायरे में हराया और फिलीपीन्स में जो फ्रेजियर से लड़ते हुए मौत के मुंह से वापस लौटे. उन्होंने हर किसी से मुकाबला किया और लाखों डालर बनाए. उनके मुकाबले इतने लोकप्रिय होते थे कि उन्हें ‘Ramble In Jungle’ और ‘मनीला में रोमांच’ जैसे नाम दिए जाते थे.

अली हमेशा कहते थे, ‘मैं महानतम हूं.’ और उनसे शायद कुछ ही लोग असहमत रहे होंगे. उनका जन्म कैसियस मार्सेलस क्ले के रूप में हुआ था लेकिन 1964 में लिस्टन को हराकर हैवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह अश्वेत मुस्लिमों (इस्लाम के देश) के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया. दुनिया इसके बाद उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही.

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अपनी बेबाक टिप्पणियों और 1960 के दशक में अमेरिकी सेना में भर्ती होने से इन्कार करने के बावजूद अली का जादुई प्रभाव लोगों पर बना रहा और उन्होंने जिस किसी भी खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया. अली की चार पत्नियां थी. पहली पत्नी सोंजी रोई के साथ वो सिर्फ दो साल रहे.

उन्होंने अपना धर्म बदलने के बाद 17 साल की बेलिंडा बायड से शादी की थी. बेलिंडा से उनके चार बच्चे थे. उनकी तीसरी पत्नी वरोनिका पोर्श थी जिनसे उनके दो बच्चे थे. अपनी चौथी पत्नी लोनी विलियम्स के साथ मिलकर उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया था.

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