
केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय की ‘ब्लैक लिस्ट’ में नाम शामिल होने के चलते ग्रीनपीस इंटरनेशनल के एक कार्यकर्ता को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. इससे कुछ ही महीने पहले इसी एनजीओ की एक कार्यकर्ता को विमान से उतार दिया गया था.
केंद्र सरकार की आलोचना का नतीजा
सरकारी सूत्रों ने बताया कि ग्रे ब्लॉक ने पहले मध्य प्रदेश के महान में कोल ब्लॉक खनन के खिलाफ अभियान चलाया था और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कई लेख और ब्लॉग लिखे थे. ऑस्ट्रेलिया में जन्मे और पेशे से पत्रकार रह चुके ब्लॉक नीदरलैंड्स में रहते हैं और पिछले कई सालों से ग्रीनपीस इंटरनेशनल से जुड़े हुए हैं. ग्रे ने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें वैध बिजनेस वीजा होने के बावजूद भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.
सरकार ने झाड़ा पल्ला
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रवेश से इनकार करने के मामले से उनके मंत्रालय का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम ये नहीं कर रहे हैं. एक अन्य मंत्रालय देश की सुरक्षा के लिए यह कर रहा है. यह एक अलग चीज है.’ अपने बयान में ग्रीनपीस इंडिया ने दावा किया कि बेंगलुरु स्थित इमिग्रेशन अधिकारियों ने गैरी ब्लॉक को वापस लौटाने के लिए कोई औपचारिक कारण नहीं बताया. एनजीओ ने दावा किया कि ग्रे ब्लॉक को प्रवेश से मना कर दिया गया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और बाद में उन्हें कुआलालंपुर के विमान में बिठा
दिया गया.
पहले प्रिया पिल्लै को रोका गया था
ग्रीनपीस ने कहा कि कुआलालंपुर में उतरने के बाद ब्लॉक का पासपोर्ट लौटा दिया गया और अब वे ऑस्ट्रेलिया लौट आए हैं. ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लै को जनवरी में लंदन जाने वाले विमान से विवादास्पद तरीके से उतार लिया गया था. उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने लंदन जाने वाली उड़ान में सवार होने से रोका था, जहां उन्हें ब्रिटिश सांसदों को संबोधित करना था. दिल्ली हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय की कार्रवाई को पलट दिया था और पिल्लै को विमान से उतारने को लेकर उनके पासपोर्ट पर लगायी गयी स्टाम्प को औपचारिक तरीके से मई में हटा दिया गया.
गौरतलब है कि केंद्र ने अप्रैल में ग्रीनपीस इंडिया के बैंक खातों पर पाबंदी लगा दी थी जिसके बाद एनजीओ को दिल्ली हाई कोर्ट से में अंतरिम राहत मांगनी पड़ी थी.
-इनपुट भाषा से