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दुश्वारियों के बावजूद घाटी में कश्मीरी पंडित क्यों बोले- मोदी है तो मुमकिन है

कश्मीरी पंडित अशोक कुमार का कहना है कि वह इस बात से खुश हैं कि प्रधानमंत्री ने अमेरिका में उनके समुदाय के लोगों से मुलाकात की और पिछले 30 साल के दर्द को महसूस किया.

अमेरिका में कश्मीरी पंडितों से मिले पीएम मोदी (फोटो-IANS) अमेरिका में कश्मीरी पंडितों से मिले पीएम मोदी (फोटो-IANS)
अशरफ वानी
  • श्रीनगर,
  • 22 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:50 PM IST

  • 1990 में 5 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए
  • कुछ परिवार दुश्वारियों के बावजूद रहने के लिए कश्मीर को ही चुना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ह्यूस्टन में कश्मीरी पंडित समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात से एक बार फिर कश्मीरी पंडितों का मसला चर्चा में आ गया है. 1990 में 5 लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ कर पलायन कर गए थे. हालांकि कुछ परिवारों ने तमाम दुश्वारियों के बावजूद रहने के लिए कश्मीर को ही चुना.   

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पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद से राज्य में हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद किए हुए आज 49 दिन हो चुके हैं. दूसरे अन्य लोगों की तरह कश्मीरी पंडित भी बंद की वजह से तमाम दुश्वारियां झेलने को मजबूर हैं.

श्रीनगर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में छठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अर्जुन बंदिशों से दुखी हैं. अर्जुन ने कहा कि इंटरनेट बंद होने से पढ़ाई में कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं. अर्जुन ने बताया, 'बंदिशों की वजह से पिछले डेढ़ महीने से मेरा स्कूल बंद है. स्कूल से पेन ड्राइव में होमवर्क मिल रहा है और हमें ट्यूशन के जरिये अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है.'

वहीं एक दूसरे कश्मीरी पंडित अशोक कुमार ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि प्रधानमंत्री ने अमेरिका में उनके समुदाय के लोगों से मुलाकात की और पिछले 30 साल के दर्द को महसूस किया. उन्होंने कहा, 'पिछले 30 वर्षों में हरेक सरकार ने हमें सुरक्षित घर लौटने का आश्वासन दिया, लेकिन किसी ने गंभीरता से काम नहीं किया, हमें मोदी पर विश्वास है क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है.'

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बता दें कि 2008 में यूपीए सरकार ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए कॉलोनी तैयार कराई थी. इसमें ज्यादातर रहने वाले कश्मीरी पंडित राज्य सरकार में कर्मचारी हैं. बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा जिलों में बनीं इन कॉलोनियों में 2000 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों के परिवार रहते हैं. बंदिशों के दौरान इन कश्मीरी पंडितों को स्थानीय लोगों और प्रशासन से आवश्यक चीजें मिल पा रही हैं. 370 को खत्म किए जाने के बाद से इन कश्मीरी पंडितों को भी तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 

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