
देश का सबसे अहम टैक्स सुधार जीएसटी बिल 1 जुलाई से लागू हो सकता है. शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी कर प्रणाली से जुड़े दो अहम विधेयकों के मसौदे को मंजूरी दी गई. वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक जीएसटी बिल के दो और पूरक विधेयक राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) और केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी (यूटीजीएसटी) के मसौदे पर काउंसिल 16 मार्च की बैठक में विचार करेगी.
जीएसटी की ओर अहम कदम
शनिवार को जीएसटी काउंसिल ने केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी( आईजीएसटी) विधेयकों के प्रावधानों पर मुहर लगाई. सीजीएसटी केंद्र सरकार को वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगाने का अधिकार देगा. वहीं आईजीएसटी राज्यों के बीच बिक्री पर टैक्स सिस्टम को तय करेगा. जेटली के मुताबिक इन सभी विधेयकों को संसद के बजट सत्र में पेश किया जाएगा. बजट सत्र 9 मार्च से दोबारा शुरू होने जा रहा है. मगर एसजीएसटी को लागू करने के लिए विधानसभाओं की मंजूरी जरुरी होगी. एसजीएसटी बिल वैट और राज्यों में लगने वाले टैक्सों के जीएसटी में शामिल होने के बाद राज्यों की टैक्स लगाने का अधिकार देगा.
बैठक में हुए अहम फैसले
-किसानों को जीएसटी के तहत पंजीकरण से छूट मिलेगी.
-20 लाख सालाना तक के कारोबार वाले व्यापारियों को जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवाना होगा. पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों में ये सीमा 10 लाख रुपये होगी.
-कमिश्नर स्तर के अधिकारी किस्तों में टैक्स चुकाने की छूट दे सकेंगे.
-निर्यातकों को 90 फीसदी टैक्स रिफंड अर्जी जमा करवाने के 7 दिनों के भीतर मिलेगा.
-रिटर्न फाइल करने और कर का भुगतान करने की ज्यादातर प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.
-50 लाख सालाना कारोबार तक के छोटे ढाबों और रेस्तरां पर 5 फीसदी की दर से कर लगेगा.
वित्त मंत्री को उम्मीद
बैठक के बाद जेटली ने उम्मीद जताई कि जीएसटी बिल को एक जुलाई तक लागू किया जा सकेगा. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है चीजें ट्रैंक पर हैं. उम्मीद है कि इस सत्र में ये विधेयक संसद में पेश होंगे. अगर संसद की मंजूरी मिलती है तो हम 1 जुलाई से जीएसटी लागू कर पाएंगे.' वित्त मंत्री के मुताबिक प्रस्तावित कानून में मॉडल जीएसटी कानून में टैक्स की उच्चतम दर 40 फीसदी (20 फीसदी केंद्र, 20 फीसदी राज्य) होगी. लेकिन प्रभावी दरों को पहले बनी सहमति के मुताबिक 5, 12, 18 और 28 फीसदी पर ही रखा जाएगा.