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जीएसटी परिषद की अहम बैठक कल, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से मिलेगी राहत?

वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं. उससे पहले बुधवार को जीएसटी परिषद की अहम बैठक हो रही है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में 70 से 80 सेवाओं और उत्पादों के रेट में कटौती होगी. हालांकि इस दौरान आम आदमी की सबसे ज्यादा नजर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर रहेगी. इसके अलावा रियल इस्टेट को भी नई टैक्स नीति के तहत लाने पर विचार हो सकता है.

अरुण जेटली की अध्यक्षता में होगी जीएसटी परिषद की बैठक अरुण जेटली की अध्यक्षता में होगी जीएसटी परिषद की बैठक
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं. उससे पहले बुधवार को जीएसटी परिषद की अहम बैठक हो रही है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में 70 से 80 सेवाओं और उत्पादों के रेट में कटौती होगी. हालांकि इस दौरान आम आदमी की सबसे ज्यादा नजर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर रहेगी.

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लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें

पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर के पार पहुंच चुकी है. इसका असर ये हो रहा है कि देश में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. केंद्र सरकार की तरफ से एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने से भी कोई राहत नहीं मिल रही है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लग रही इस आग से आम आदमी को बचाने के लिए सरकार के पास अब दो ही रास्ते हैं.

जीएसटी से मिलेगी राहत?

बढ़ते दामों से आम आदमी को राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार दो कदम उठा सकती है. इसमें एक है, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना और दूसरा कि वह राज्यों को वैट घटाने के लिए कहे. पेट्रोल और डीजल जीएसटी के तहत आएगा या नहीं, इस पर कल की मीटिंग में फैसला हो सकता है.

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जीएसटी से घट जाएंगी कीमतें

अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को बजट से पहले बहुत बड़ी राहत मिल सकती है. जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें 55 रुपये से कम हो जाएंगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली और ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान भी इन्हें जीएसटी के तहत लाने की मांग कर चुके हैं. हालांकि ये तब ही संभव होगा, जब सभी राज्य इसके लिए राजी होंगे.

लेक‍िन आसान नहीं राह

दरअसल राज्यों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल से आता है. ऐसे में इन दोनों ईंधन को जीएसटी के तहत लाया जाता है, तो राज्यों की कमाई बहुत कम हो जाएगी. जीएसटी के मामलों के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा का कहना है कि यह इतना आसान भी नहीं है क्योंकि कई ऐसे राज्य हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनका कमाई का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल के टैक्स से ही आता है.

घटेगी राज्यों की कमाई

ऐसे में अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाया जाएगा तो उनकी कमाई में बड़ी कटौती होगी जिसका केंद्र सरकार को कहीं दूसरी जगह से इंतजाम करना होगा. ऐसे में सभी राज्य इस प्रस्ताव को मंजूरी देंगे, ये फिलहाल थोड़ा मुश्क‍िल नजर आता है.

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