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GST लागू होने के एक महीना बाद भी व्यापारियों को नहीं समझ आया गणित

ऑटोमोबाइल पार्ट्स खरीदने वाले रघु शेट्टी ने बताया कि वो जीएसटी के जाल में बुरी तरह फंस गए हैं. रघु ने बताया कि छोटे ऑटोपार्ट्स बनाने वाले बिल नहीं देते हैं. जिस वजह से पार्ट्स सप्लाई करना मुश्किल हो गया है.

अब भी नहीं समझ आया GST का गणित अब भी नहीं समझ आया GST का गणित
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुए 1 महीना बीत गया है. मगर देश की राजधानी दिल्ली में ट्रेडर्स अब भी जीएसटी के गणित में उलझे नज़र आ रहे हैं. आज भी ट्रेडर्स को जीएसटी की वजह से कई समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. 'आजतक' की टीम ने दिल्ली के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाज़ार का दौरा कर, दुकानदार और खरीददार से बातचीत की.

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व्यापारियों की मानें तो जीएसटी की वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. कश्मीरी गेट में पिछले एक दशक से ऑटोमोबाइल पार्ट्स का व्यापार कर रहे विनय नारंग का कहना है कि जीएसटी लागू होने के 1 महीने बाद भी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि सेल और पर्चेस के स्ट्रक्चर नहीं बन पाए हैं. इस महीने लेबर और कर्मचारियों को सैलरी अपनी जेब से दी है. कई समस्याओं के बावजूद कस्टमर जीएसटी को अपनाने की कोशिश कर रहा है. उनका मानना है कि केंद्र सरकार अगर व्यापारियों को 1 महीने का वक़्त दे देती तो थोड़ी राहत मिलती.

पिछले 1 महीने में तीन बार बंगलुरू से दिल्ली आकर ऑटोमोबाइल पार्ट्स खरीदने वाले रघु शेट्टी ने बताया कि वो जीएसटी के जाल में बुरी तरह फंस गए हैं. रघु ने बताया कि छोटे ऑटोपार्ट्स बनाने वाले बिल नहीं देते हैं. जिस वजह से पार्ट्स सप्लाई करना मुश्किल हो गया है. रघु के मुताबिक छोटे ऑटोपार्ट्स बनाने वालों को जीएसटी के बारे में जानकारी ही नहीं है, जो एक बड़ी समस्या बन रही है.

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कश्मीरी गेट में ट्रैक्टर पार्ट्स का व्यापार करने वाले विष्णु भार्गव बताते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद ट्रैक्टर पार्ट में सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन है. विष्णु भार्गव कहना है कि ट्रैक्टर के सिर्फ 4 पार्ट्स पर 18% जीएसटी लगाई गई है. ऐसे में डीलर 18% या 28% में बिल काट रहे हैं. भारत कृषि प्रधान देश है, गांव-गांव से खरीददार आ रहे हैं लेकिन दुकानदार बिल नहीं काट पा रहे हैं. जीएसटी के बाद सिर्फ 25% की सेल ट्रेक्टर पार्ट्स की रह गयी है.

दिल्ली के अलग अलग इलाकों में ऑटोपार्ट्स सप्लाई करने वाले विनीत ने बताया कि छोटी दुकानों से सामान खरीदने पर बिल बनवाने में बड़ी समस्या आती है. कश्मीरी गेट से ऑटोपार्ट्स खरीदकर यमुना पार बेचना हो तो बिल दिखाना पड़ता है. उनका मानना है कि छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी से बड़ी दिक्कत हो रही है.

 

 

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