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GST से केन्द्र नहीं राज्यों को फायदा, जुलाई से नवंबर तक के आंकड़ों की खास बातें

पहले चार महीनों के आंकड़ो से एक बात साफ है कि अभीतक जीएसटी राज्यों की आमदनी के लिए बेहतर साबित हुआ है. टैक्स के जरिए होने वाली आमदनी में भी केन्द्र के मुकाबले राज्यों की स्थिति बेहतर है. हालांकि केन्द्र सरकार के लिए अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए अब विनिवेश का सहारा लेना पड़ सकता है.

जीएसटी के चार महीनों के आंकड़ों का दावा, अब दौड़ेगी इकोनॉमी जीएसटी के चार महीनों के आंकड़ों का दावा, अब दौड़ेगी इकोनॉमी
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

देश में 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद केन्द्र सरकार अक्टूबर तक के अहम आंकड़ों को जारी कर दिया है. इन आंकड़ों के जरिए केन्द्र सरकार ने दावा किया है कि अब अर्थव्यवस्था पर जीएसटी और नोटबंदी का कुप्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने के संकेत साफ दिख रहे हैं.

हालांकि पहले चार महीनों के आंकड़ो से एक बात साफ है कि अभीतक जीएसटी राज्यों की आमदनी के लिए बेहतर साबित हुआ है. टैक्स के जरिए होने वाली आमदनी में भी केन्द्र के मुकाबले राज्यों की स्थिति बेहतर है. हालांकि केन्द्र सरकार के लिए अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए अब विनिवेश का सहारा लेना पड़ सकता है. जानिए विस्तार से क्या कह रहे हैं जीएसटी के पहले चार महीने के आंकड़े.  

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जीएसटी दर कम करने से कम हो गई केन्द्र की कमाई

माल एवं सेवाकर जीएसटी की वसूली अक्तूबर माह में करीब- करीब 10 प्रतिशत घटकर 83,346 करोड़ रुपये रह गई. वित्त मंत्रालय के मुताबिक बीते 2 महीने के दौरान जीएसटी काउंसिल द्वारा कई वस्तुओं पर जीएसटी दर कम किये जाने और नई व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने में आ रही शुरुआती दिक्कतों के चलते केन्द्र सरकार की कमाई में यह देखने को मिल रही है.

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वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक अक्तूबर माह में 50.1 लाख व्यावसायियों ने जीएसटी रिटर्न भरा जिससे 83,346 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. इससे पिछले महीने 92,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. राजस्व संग्रह में आई गिरावट के पीछे कई उत्पादों पर जीएसटी दर में की गई कमी को अहम् वजह बताया गया है.

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सॉफ्टवेयर में दिक्कत से अभी नहीं हो पाया रिटर्न का मिलान

इसके अलावा कर प्रशासन इस समय कारोबारियों की स्व:घोषणा के आधार पर ही कर प्राप्ति कर रहा है. रिटर्न का मिलान, इलेक्ट्रानिक ट्रांजिट परमिट प्रणाली यानी ई-वे बिल और प्रतिकूल शुल्क वसूली जैसे कई प्रावधानों को आगे के लिये टाल दिया गया है. इसके अलावा जीएसटी लागू होने के शुरुआती तीन माह में एकीकृत जीएसटी यानी आईजीएसटी के रूप में अतिरिक्त कर वसूली हुई थी. आईजीएसटी के रूप में दिये गये कर को अब माल की अंतिम बिक्री होने पर उसका क्रेडिट लिया गया है. इससे भी कर वसूली में कम रही है.

देश में जीएसटी प्रणाली की शुरुआत एक जुलाई 2017 से हुई. इसमें केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और राज्यों में लगने वाले वैट सहित एक दर्जन से अधिक करों को समायोजित किया गया है. इसमें जो भी जीएसटी प्राप्त होता है उसे केन्द्र और राज्यों के बीच बांटा जाता है.

केन्द्र को चपत लेकिन राज्यों की जेब भरी

वित्त मंत्रालय के मुताबिक जुलाई-अगस्त के लिये राज्यों को उनकी राजस्व भरपाई के लिये 10,806 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं. इसी प्रकार सितंबर-अक्तूबर के लिये 13,695 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा रही है. यह राशि विलासिता और अहितकर सामानों पर वसूले गये उपकर से जारी की गई है. जीएसटी के बारे में इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय जीएसटी से राज्य के साथ 14 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी से केंद्रीय वित्त पर 11,000 करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है लेकिन अंतिम परिणाम उतना बुरा नहीं होगा.

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जीएसटी व्यवस्था में राज्यों के राजस्व को पूरी तरह से सुरक्षित रखने की व्यवस्था है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के पहले माह जुलाई में 95,000 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त किया गया. अगस्त में 91,000 करोड़ रुपये और सितंबर में 92,150 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ. जीएसटी लागू होने के बाद अब तक शुरुआती जीएसटीआर-3बी जुलाई में 58.7 लाख, अगस्त में 58.9 लाख, सितंबर में 57.3 लाख और अक्तूबर में 50.1 लाख दर्ज किये गये हैं.

विनिवेश की कमाई से संभलेगा केन्द्र सरकार का खजाना

हालांकि केन्द्र सरकार का दावा है कि उसे विनिवेश के मोर्चे पर सफलता और माल एवं सेवा कर जीएसटी संग्रह उत्साहजनक रहने से राजकोषीय दबाव कम करने में मदद मिलेगी. घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, विनिवेश में तेजी तथा जीएसटी के क्रियान्वयन से राजकोषीय गणित पर दबाव कम होगा. उल्लेखनीय है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा 3.2 प्रतिशत आने का लक्ष्य रखा है. व्यय बढ़ने तथा इसके अगस्त में घाटे का 96 प्रतिशत पहुंच जाने एवं आर्थिक वृद्धि दर में नरमी से यह सवाल उठने लगे थे कि क्या सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा कर पाएगी या नहीं.

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रिपोर्ट के अनुसार पिछले सप्ताह पेश भारत 22 एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की सफलता से सरकार 72,500 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुंच गयी है. नवंबर के अंत तक सरकार ने विनिवेश के जरिये 52,300 करोड़ रुपये जुटा लिये हैं. इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में अभी चार महीना बचा है.

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ओएनजीसी के हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेयान में सरकार की 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने को देखते हुए अकेले विनिवेश से पूंजी प्राप्ति लक्ष्य से पर रह सकती है. इससे सरकार को कम-से-कम 32,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है.

दूसरी तिमाही में सुधर जाएगी जीडीपी?

नोटबंदी और जीएसटी का प्रतिकूल प्रभाव कम होने के चलते भारत की सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. उद्योग संघ फिक्की ने आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में यह संभावना जताई.

अप्रैल-जुलाई तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय सीएसओ 30 नवंबर को जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए आर्थिक विकास के आंकड़े जारी करेगा. उद्योग संघ ने कहा कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों ने उल्लेख किया कि सरकार को सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उत्पादक पूंजी निवेश पर जोर देना चाहिए. इसमें कहा गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सुधरकर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और आगे तीसरी तिमाही में जीपीडी दर 6.7 प्रतिशत होने की संभावना है.

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खत्म हो रहा जीएसटी और नोटबंदी का कुप्रभाव

फिक्की ने सर्वेक्षण में कहा कि नोटबंदी और जीएसटी कार्यान्वयन के प्रभाव के चलते अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती खत्म होती हुई प्रतीत हो रही है. नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी स्थिर हो रही है, जिससे आगे अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिल सकता है. सर्वेक्षण में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के 2017-18 में करीब 2.8 प्रतिशत जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 3.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई है.

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